सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट।
CJI Suryakant: देश के मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि किसी नागरिक को कानूनी आपात स्थिति का सामना या जांच एजेंसियों द्वारा उसे देर रात गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है तो वह मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए आधी रात में भी संवैधानिक अदालतों से सुनवाई की मांग कर सकेगा। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा है कि मेरा प्रयास है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जनता की अदालतें बनें, जहां कानूनी आपात स्थितियों में काम समय के बाद भी कभी भी अपील की जा सके।
उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता यह भी है कि लंबित याचिकाओं से निपटने के लिए यथासंभव अधिक से अधिक संवैधानिक पीठों का गठन किया जाए। इन याचिकाओं में कई अहम मुद्दे उठाए गए हैं। जैसे-मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का समूह, जो बिहार से शुरू होकर अब एक दर्जन राज्यों में चल रहा है।
देश के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे धार्मिक स्वतंत्रता और महिलाओं के अधिकारों के बीच टकराव को उजागर करने वाली याचिकाओं पर फैसला करने के लिए 9 न्यायाधीशों की पीठ गठित करने की व्यवहार्यता की भी जांच करेंगे। अब वकील महत्वपूर्ण मामलों में कई दिनों तक बहस नहीं कर सकेंगे। मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों के लिए बहस पूरी करने हेतु सख्त समयसीमा लागू करने का निर्णय लिया है। अंबानी बंधुओं के बीच हुए समझौते के विवाद से संबंधित उस मामले जैसा दूसरा मामला कभी नहीं होगा, जिसमें वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में 26 दिनों तक बहस की थी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि गरीब वादियों को न केवल मुफ्त कानूनी सहायता मिले, बल्कि उनके मामलों की सुनवाई में उन्हें अदालत का समान समय भी मिले।
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जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट में जज रहते हुए कई दमदार फैसले दिए हैं। चाहे वह अनुच्छेद 370 हो, राजद्रोह का कानून हो या पेगासस का मामला हो। इन फैसले में जस्टिस सूर्यकांत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इन्होंने 24 नवंबर 2025 को सीजेआई पद की शपथ ली है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।