धराली रेस्क्यू का पहला फेज पूरा हुआ (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
Uttrakhand Dharali Tragedy First Phase Of Rescue Operation Done : उत्तराखंड के धराली गांव में बीते दिनों प्राकृतिक आपदा का कहर बरस पड़ा। उत्तरकाशी जिले के धराली में 5 अगस्त को दोपहर 1.45 बजे बादल फट गया था। खीर गंगा नदी में बाढ़ आ गई। तेज रफ्तार पानी के साथ आए मलबे ने 34 सेकेंड में धराली गांव को जमींदोज कर दिया था।
अब तक 5 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, 70 लोगों का रेस्क्यू किया गया है। 100 से 150 लोग लापता हैं, संभावना है कि वे मलबे में दबे हो सकते हैं।
उत्तराखंड के धराली गांव में आई आपदा में फंसे लोगों को निकालने का पहले फेज का काम लगभग पूरा हो गया है। हर्षिल घाटी में फंसे 650 से अधिक पर्यटकों और गंगोत्री गए श्रद्धालुओं को अबतक निकाल लिया गया है।
सेना और NDRF की टीम ने शुक्रवार से मलबे में दबे लोगों को खोजने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए सेना एडवांस पेनिट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल कर रही है, इससे खुदाई किए बगैर ही जमीन में दबे लोगों का पता लगाया जा सकता है।
पेनिट्रेटिंग रडार जमीन के नीचे एक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो तरंग भेजता है, जहां यह मिटटी, पत्थर, धातु और हड्डियों को अलग-अलग रंगों के जरिए बताता है। इसके जरिए जमीन के नीचे 20-30 फीट तक फंसे लोगों या शवों की पहचान की जा सकती है।
बीते दिनों आपदा के बाद आसपास के इलाकों में इंटरनेट, संचार सभी सेवाएं बंद पड़ गईं थीं। लेकिन अब आपदा के दो दिनों बाद इंटरनेट सर्विस शुरू कर दी गई है। दो से तीन दिन बाद घटना वाले इलाकों में मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी फिर से शुरू हुई है। पूरे मामले पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि एयरटेल सेवा शुरू हो गई है, जिससे बचाव कार्य में तेजी आएगी।
धराली, हर्षिल और उत्तरकाशी के बीच सड़कें अब भी टूटी या बंद हैं। बिजली भी नहीं है। वहीं, बेली ब्रिज भी 2 दिनों में बनने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तरकाशी में एक जनरेटर लाया गया है। इसे धराली गांव भेजा जाएगा। गंगनानी के पास लिंचा गाड़ में एक बेली ब्रिज का निर्माण शुरू हो गया है। यह दो दिन में तैयार हो जाएगा।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि Cartosat-2S सैटेलाइट से हादसे वाली जगह की पहले और बाद की तस्वीर क्लिक की गई, जिससे त्रासदी के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में काफी मदद मिली।
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धराली के 80 एकड़ में 20 से 50 फीट तक मलबा फैला है। इसे हटाने के लिए सिर्फ 3 जेसीबी मशीनें लगी हैं। मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश के लिए हाईटेक थर्मल सेंसिंग उपकरण और बड़ी मशीनें चाहिए, लेकिन ये सभी 60 किमी दूर भटवाड़ी में रास्ता न खुलने की वजह से 2 दिन से अटका हुआ है।
वहीं, उत्तरकाशी से गंगोत्री तक एक ही सड़क है, जो धराली से होकर गुजरती है। हर्षिल से धराली की 3 किमी की सड़क 4 जगह पर 100 से 150 मीटर तक खत्म हो चुकी है। भटवाड़ी से हर्षिल तक तीन जगह लैंडस्लाइड हुई है और एक पुल टूटा है। ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि धराली तक सड़क खुलने में 2-3 दिन और लग सकते हैं।