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‘पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं’, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर भड़के CJI सूर्यकांत, कही ये बात

Allahabad High Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संकेत दिया कि वह यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों में अदालतों द्वारा की जाने वाली 'असंवेदनशील' टिप्पणियों पर विशेष दिशानिर्देश जारी कर सकता है।

  • By अर्पित शुक्ला
Updated On: Dec 09, 2025 | 08:36 AM

सुप्रीम कोर्ट (सोर्स: सोशल मीडिया)

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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संकेत दिया कि वह यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों में अदालतों द्वारा की जाने वाली ‘असंवेदनशील’ टिप्पणियों से पीड़ितों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि अदालतों की असंवेदनशील टिप्पणियां पीड़ितों पर ‘डर पैदा करने वाला प्रभाव’ डाल सकती हैं। CJI ने कहा कि कई बार ऐसी टिप्पणियों का इस्तेमाल पीड़ितों पर दबाव डालने और शिकायत वापस लेने के लिए किया जाता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का विवादित फैसला

यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा मार्च में लिए गए स्वतः संज्ञान के तहत हुई थी। कोर्ट ने तब इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक विवादित फैसले पर ध्यान दिया था, जिसमें कहा गया था कि केवल ‘स्तन दबाने’ और ‘पायजामे की डोरी खींचने’ से बलात्कार का अपराध सिद्ध नहीं होता। CJI ने स्पष्ट किया कि हाई कोर्ट का यह फैसला रद्द किया जाएगा और आपराधिक मुकदमा बिना किसी रुकावट के जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “हम हाई कोर्ट का आदेश रद्द करेंगे और ट्रायल को आगे बढ़ने देंगे।”

असंवेदनशील टिप्पणियों पर दिलाया ध्यान

सुनवाई के दौरान अमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने अदालतों द्वारा की गई कई चिंताजनक टिप्पणियों की ओर ध्यान दिलाया, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट की एक और टिप्पणी शामिल थी, जिसमें कहा गया था कि रात में हुई घटना ‘आमंत्रण’ जैसी लगती है। उन्होंने कोलकाता और राजस्थान हाई कोर्ट के अन्य उदाहरण भी प्रस्तुत किए। अमिकस ने यह भी बताया कि हाल ही में एक इन-कैमरा ट्रायल के दौरान एक नाबालिग के साथ अनुचित व्यवहार किया गया, जो बेहद गंभीर मामला है।

यह भी पढ़ें- लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा, गृह मंत्री अमित शाह आज करेंगे शुरुआत

शीर्ष अदालत तैयार करेगी दिशानिर्देश

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि निचली अदालतों में ऐसी टिप्पणियां अक्सर अनदेखी रह जाती हैं। CJI ने अमिकस से सुझाव मांगे और कहा कि अदालत इस संवेदनशील विषय पर व्यापक दिशानिर्देश तैयार करेगी, ताकि पीड़ितों पर किसी भी तरह का अन्याय या मानसिक दबाव न पड़े। CJI ने यह भी सुनिश्चित किया कि पीड़ितों के अधिकारों को किसी भी तरह की क्षति नहीं होने दी जाएगी।

Supreme court moves to curb court remarks that hurt victims in sexual offence cases

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Published On: Dec 09, 2025 | 08:36 AM

Topics:  

  • Allahabad High Court
  • Supreme Court

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