शुभांशु शुक्ला (फोटो- सोशल मीडिया)
कैलिफोर्निया: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और देश के दूसरे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज (15 जुलाई 2025) 20 दिनों के अंतरिक्ष अभियान के बाद सकुशल पृथ्वी पर लौट आए। स्पेसएक्स की ड्रैगन कैप्सूल “Grace” ने Axiom‑4 मिशन के तहत भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 3:01 बजे कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन किया।
यह न सिर्फ शुभांशु और उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। उनकी वापसी ने भारत के मानव अंतरिक्ष अभियान (गगनयान मिशन) की दिशा और गति दोनों को नई मजबूती दी है। इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान शुभांशु द्वारा की गई रिसर्च से भारत को गगनयान मिशन से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।
इससे पहले, लखनऊ में उनके घर पर इस ऐतिहासिक पल को लेकर विशेष पूजा-अर्चना की गई। उनके माता-पिता और बहन ने भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया और सुंदरकांड का पाठ कर आभार प्रकट किया। पूरे देश से शुभकामनाओं का सिलसिला जारी रहा। केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुभांशु शुक्ला की वापसी को भारत के लिए गौरवपूर्ण बताते हुए कहा कि यह क्षण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम विशेषकर 2027 में प्रस्तावित गगनयान मिशन के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है।
#WATCH | In a historic moment, Group Captain Shubhanshu Shukla and the Axiom-4 crew aboard Dragon spacecraft splashes down in the Pacific Ocean after an 18-day stay aboard the International Space Station (ISS)
(Video Source: Axiom Space/YouTube) pic.twitter.com/qLAq2tyW5S
— ANI (@ANI) July 15, 2025
राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय शुभांशु हैं, वो राकेश शर्मा को अपना आदर्श मानते हैं। अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान शुभांशु ने राकेश शर्मा को याद करते हुए कहा कि 41 वर्ष पहले एक भारतीय ने अंतरिक्ष से भारत को देखा था और हमें बताया था कि हमारा देश वहां से कैसा दिखाई देता है। शुभांशु ने आगे कहा कि आज भी हम सभी यह जानने को उत्सुक रहते हैं कि वर्तमान में अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। आज का भारत महत्वाकांक्षी है, निडर है, आत्मविश्वासी है और गर्व से भरा हुआ है।
अंतरिक्ष से लौटने के बाद शुभांशु की सबसे पहले मेडिकल जांच की जाएगी। इसके बाद उन्हें लगभग 10 दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाएगा। इसका कारण यह है कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान शरीर में कई अंदरूनी बदलाव होते हैं। यह आइसोलेशन इसलिए जरूरी होता है ताकि उनका शरीर धरती की परिस्थितियों के अनुसार दोबारा ढल सके।
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अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने की वजह से अंतरिक्ष यात्री वहां तैरते रहते हैं। इससे उनके चलने-फिरने, सोने, उठने-बैठने और खाने-पीने की आदतों में बदलाव आ जाता है। पृथ्वी पर लौटने पर वे संतुलन खो देना, चीजें गिरा देना या सामान्य दैनिक कार्यों में गलतियां करना जैसी परेशानियों का सामना कर सकते हैं। इसी वजह से उन्हें विशेष देखरेख और समय की जरूरत होती है।