केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि आपातकाल में जिस धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया उसको हटाया जाए। उनका यह बयान आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को लेकर दिए गए बयान के बाद आया है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “सर्वधर्म समभाव ये भारतीय संस्कृति का मूल है और धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है।”
शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि “इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए कि इमरजेंसी में जिस धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया उसको हटाया जाए।” बीजेपी नेता ने आगे कहा कि “अपने जैसा सबको मानो यह भारत का मूल विचार है, इसलिए समाजवाद की कोई जरूरत नहीं है।”
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में ‘‘समाजवादी” और ‘‘धर्मनिरपेक्ष” शब्दों की समीक्षा करने संबंधी आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के बयान को लेकर शुक्रवार को आरोप लगाया कि संघ का नकाब फिर से उतर गया है और उसे संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए।
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि RSS का नक़ाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और ग़रीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताक़तवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है। RSS ये सपना देखना बंद करे – हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे।
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आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था कि बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में यह शब्द कभी नहीं थे। इमरजेंसी के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब यह शब्द जोड़े गए।
RSS सरकार्यवाहक ने कहा था कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से उनको हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। होसबोले ने कहा कि इसलिए इस पर विचार किया जाना चाहिए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)