बदलापुर कांड के विरोध में उतरे शरद पवार (सौजन्य : सोशल मीडिया)
मुंबई: देश में महिला सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। पहले कोलकाता और फिर बदलापुर कांड लोगों को सदमे में डाल दिया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार आज बदलापुर में हुए घिनौन कृत्य के विरोध में एक प्रदर्शन में प्रदर्शन में पहुंचे। जहां उन्होने एक जनसभा को संबोधित करते हुए लोगों को शपथ दिलाई।
इस प्रदर्शन में NCP नेता सुप्रिया सुले भी पहुंची। जहां उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इस दौरान उन्होंने शिवाजी महाराज से लेकर बाबासाहेब तक का जिक्र किया।
शरद पवार ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बदलापुर के एक स्कूल में केजी में पढ़ने वाली दो बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न की घटना से देश में महाराष्ट्र की छवि खराब हुई है। पवार ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह यह भूल गई है कि महिलाओं की सुरक्षा उसकी जिम्मेदारी है। पुणे में मौन प्रदर्शन में शामिल हुए पवार ने कहा कि यदि सरकार सोचती है कि विपक्ष बदलापुर की घटना पर राजनीति कर रहा है तो वह असंवेदनशील है।
उन्होंने कहा, ‘‘बदलापुर की घटना से देश में महाराष्ट्र की छवि खराब हुई है। छत्रपति शिवाजी की भूमि पर ऐसी घटना हुई है जो महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले अपराधियों के हाथ काट देते थे।” ठाणे जिले के बदलापुर स्थित एक स्कूल में एक सफाईकर्मी ने चार साल की दो बच्चियों का कथित यौन उत्पीड़न किया था, जिसके विरोध में मंगलवार को वहां बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ था।
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सुप्रिय सुले ने इस घटना का विरोध करते हुए कहा, “महिलाओं के खिलाफ लगातार अपराध बढ़ती जा रही रही है। कुछ मामलों में पुलिस की लापरवाही भी वजह बनी है। लोगों में पुलिस का डर खत्म होता जा रहा है। पुणे में ड्रग्स और कोयता गैंग जैसी घटनाओं की मैं कड़ी निंदा करती हूं” उन्होंने विरोध जताते हुए कहा कि जब आरोपियों को फांसी पर नहीं लटका दिया जाता तब तक हमारा विरोध जारी रहेगा।
“बता दें कि इस घटना के बाद हजारों लोगों ने सड़कों और रेल की पटरियों को अवरुद्ध कर दिया था तथा इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई थी। विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी ने बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न के विरोध में 24 अगस्त को पूरे राज्य में बंद का आह्वान किया था। हालांकि, बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राजनीतिक दलों या व्यक्तियों को 24 अगस्त या आगे की किसी तारीख पर प्रस्तावित महाराष्ट्र बंद का आह्वान करने से रोक दिया था।