जामनगर शिफ्ट होगी हथिनी महादेवी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Mahadevi Elephant: कई सालों से जंजीरों में जकड़ी रही 36 वर्षीय हथिनी महादेवी को आखिरकार आज़ादी मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए महादेवी के पुनर्वास के लिए उसे जामनगर स्थित वंतारा के राधे कृष्ण टेम्पल एलीफेंट वेलफेयर ट्रस्ट (RKTEWT) भेजने का आदेश दिया गया है।
यह फैसला पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया और महाराष्ट्र वन विभाग की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया, जिसमें महादेवी की बिगड़ती शारीरिक और मानसिक स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई गई थी।
महादेवी को मात्र तीन वर्ष की उम्र में एक शेड में लाकर जंजीरों में बांध दिया गया था। कंक्रीट की फर्श पर रहने से उसे गंभीर गठिया, पंजों में सड़न और नाखूनों की अत्यधिक बढ़त जैसी बीमारियां हो गईं। 2017 में उसकी मानसिक स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि उसने मठ के मुख्य पुजारी की जान ले ली थी।
आपको याद होगा कि भट्टारक मठ ने खुद महादेवी को पुनर्वासित करने की इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में वे अपनी बात से पीछे हट गए। इसके बाद मठ ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। इस बात को लेकर चल रही सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मठ की याचिका को खारिज कर दिया और महादेवी की हालत को देखकर उसकी बेहतरी को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए 28 जुलाई 2025 को वहां से शिफ्ट करने का आदेश पारित किया।
PETA इंडिया की निदेशक खुशबू गुप्ता ने कहा, “हाथी संवेदनशील और भावनात्मक प्राणी हैं, जिन्हें सामाजिक जीवन और आज़ादी की आवश्यकता होती है। हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के लिए आभारी हैं जिसने महादेवी को सम्मान और स्वतंत्रता से जीने का अधिकार दिया।”
अब महादेवी वंतारा में अन्य हाथियों के साथ स्वतंत्र वातावरण में रह पाएगी, जहां उसे विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की देखरेख में हाइड्रोथेरेपी और विशेष चिकित्सा सेवाएं मिलेंगी।
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PETA इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन्स (FIAPO) ने भट्टारक मठ को मैकेनिकल हाथी भेंट करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि मंदिर की परंपराएं जीवित रहें लेकिन जानवरों को यातना से बचाया जा सके।