स्पीकर ओम बिरला, भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी व भाकपा (एम-एल) लिबरेशन सांसद राजाराम सिंह (सोर्स - सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: लोकसभा में शुक्रवार को विमान किराये के विनियमन से जुड़े एक निजी संकल्प पर चर्चा के दौरान माहौल गर्मा गया। भाकपा (एम-एल) लिबरेशन सांसद राजाराम सिंह ने भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी की टिप्पणी पर आपत्ति जताई, जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि किसी की अभिव्यक्ति पर सवाल उठाना ठीक नहीं। इस दौरान निजीकरण, विमानन उद्योग की चुनौतियां और यात्रियों से वसूले जाने वाले विभिन्न शुल्कों पर भी तीखी बहस हुई। विपक्ष ने सरकार पर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया, जबकि भाजपा सदस्यों ने इसे जनहितैषी नीतियों का हिस्सा बताया।
चर्चा के दौरान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि रूडी ने किसी का बचाव नहीं किया, बल्कि सरकार को विमान किराये में पारदर्शिता लाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि सुरक्षा शुल्क, उपयोगकर्ता शुल्क और ईंधन कर जैसे कारक किराये को प्रभावित करते हैं। वहीं, विपक्ष ने तर्क दिया कि किसानों की जमीन पर बनी सड़कों और रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है, जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। यह बहस इस बात को लेकर भी थी कि सरकारी संसाधनों का लाभ निजी कंपनियों को देने की नीति कितनी उचित है।
भाकपा (एम-एल) लिबरेशन सांसद राजाराम सिंह ने रूडी की टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हर सदस्य को अपनी बात रखने का अधिकार है और दूसरों की अभिव्यक्ति पर सवाल उठाना ठीक नहीं। वहीं विपक्ष ने कहा कि रेलवे और सड़कों की तरह विमानन उद्योग भी निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है। सिंह ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि गरीबों और किसानों की अनदेखी हो रही है।
सांसद राजाराम सिंह ने कहा कि सरकार सार्वजनिक संसाधनों को निजी कंपनियों के हाथों में सौंप रही है। उन्होंने विमानन क्षेत्र में मांग-आधारित किराये (फ्लेक्सी फेयर) को यात्रियों का शोषण करार दिया। वहीं विमानन उद्योग और किराये का मुद्दे पर पूर्व नागर विमानन मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने विमान किरायों में वृद्धि के कारणों को गिनाया, उन्होंने बताया कि विभिन्न कर और शुल्क किराये में शामिल होते हैं, जो आमतौर पर यात्रियों को दिखाई नहीं देते।
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इस चर्चा से यह स्पष्ट हुआ कि विमान किराये के बढ़ते बोझ को कम करने की आवश्यकता है। सरकार और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी स्थिति पर अडिग रहे, लेकिन इस बहस ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया कि क्या आम आदमी को किफायती हवाई यात्रा की सुविधा मिल पाएगी या नहीं।