
इंडिगो फ्लाइट (सौजन्य-सोशल मीडिया)
IndiGo Crisis News: इंडिगो संकट के बीच, DGCA द्वारा 11 दिसंबर को फ्लाइट ऑपरेशंस से जुड़े चार सीनियर इंस्पेक्टरों को हटाए जाने का मामला सुर्खियों में है। खबरों के अनुसार, जिन अधिकारियों को हटाया गया, उनमें से एक, साउथ दिल्ली के फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर (POL) कैप्टन अनिल कुमार पोखरियाल कैंसर से जूझ रहे थे। वे पिछले डेढ़ महीने से लगातार अस्पताल में भर्ती हो रहे थे और स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने हाल ही में इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, इसके बावजूद DGCA ने बिना उचित जांच किए उनका नाम भी बर्खास्तगी की लिस्ट में डाल दिया।
कैप्टन अनिल कुमार पोखरियाल का नाम उन अधिकारियों की लिस्ट में था, जिन्हें DGCA ने हटाया। स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्होंने इंडिगो से जुड़े किसी भी काम को देखने से इनकार कर दिया था। उन्होंने खुद भी इस्तीफा दे दिया था, फिर भी उन्हें बर्खास्त किया गया। इस पर DGCA के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी।
खबरों के अनुसार, कैप्टन अनिल कुमार पोखरियाल, कैप्टन ऋषिराज चटर्जी, कैप्टन सोम झामनानी और कैप्टन प्रियाम कीशक उस विंग का हिस्सा ही नहीं थे। ये चारों केवल कनेक्ट मेटर एक्सपर्ट (SMB) के तौर पर DGCA में काम कर रहे थे। इनकी जिम्मेदारी केवल DGCA को इंडिगो के रोज़मर्रा के ऑपरेशंस से जुड़ी सूचनाएं प्रदान करने और DGCA के आदेश इंडिगो तक पहुंचाने तक ही सीमित थी। उन्हें FDTL (Flight Duty Time Limit) नियमों की निगरानी करने की जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। इसके बावजूद इन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
इंडिगो से जुड़ा मामला 2 दिसंबर को सामने आया, लेकिन DGCA के चीफ फैज अहमद किदवई या किसी सीनियर अधिकारी ने 10 दिसंबर तक इन अधिकारियों से कोई बातचीत नहीं की। अचानक, 10 दिसंबर की शाम 7 बजे कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और बिना इन अधिकारियों का पक्ष सुने, 11 दिसंबर को उन्हें रिलीव कर मूल एयरलाइंस में वापस भेजने का आदेश दे दिया गया। इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह पूरी कार्रवाई सिर्फ DGCA के कुछ सीनियर अधिकारियों की लापरवाही को छिपाने के लिए की गई, ताकि निचले अधिकारियों पर कार्रवाई कर मामला शांत किया जा सके।
इंडिगो संकट के बाद DGCA की कार्रवाई ने अब एयरलाइन की टॉप लीडरशिप पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, DGCA ने इंडिगो की कार्यप्रणाली में कई गंभीर खामियां पाई हैं, जो यह संकेत देती हैं कि संकट की जड़ें अंदर ही अंदर गहरी हो चुकी थीं, और मैनेजमेंट ने समय रहते इन्हें पहचानने की कोशिश नहीं की। इसलिए, इंडिगो के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) इसिट्रोरस ओरिया के खिलाफ कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।
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इसिट्रोरस ओरिया ने नवंबर 2024 में COO की जिम्मेदारी संभाली थी। पायलटों के साथ अपनी पहली मीटिंग में उन्होंने साफ कहा था कि वे यहां ‘दस्त बनाने’ नहीं, बल्कि बिजनेस करने आए हैं। उनके आने के बाद कई बड़े बदलाव हुए, जो सिस्टम के खिलाफ साबित हुए। पायलटों और क्यूआरटी (कुकी हेल्प टीम) के साथ डायरेक्ट बात करने की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया और इसकी जगह चैटबॉट को नियुक्त कर दिया गया, जिससे समस्याओं का तत्काल समाधान मिलना बंद हो गया। इसके बाद रोस्टर सिस्टम में बदलाव किया गया, जिससे नाइट स्टे और ड्यूटी बढ़ने लगी।






