
अमित शाह के भाषण पर विपक्ष को जोरदार हमला
Rahul Gandhi vs Amit Shah on SIR: लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण के बाद सियासी पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शाह के पूरे संबोधन को ‘डिफेंसिव’ करार देते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सरकार अब बचाव की मुद्रा में आ गई है। शाह के पलटवार के बाद सदन के बाहर आकर राहुल ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री ने ईवीएम के आर्किटेक्चर और पारदर्शी वोटर लिस्ट जैसे सबसे अहम और ज्वलंत सवालों पर रहस्यमयी चुप्पी साध ली है, जिससे शक और गहरा गया है।
कांग्रेस ने गृह मंत्री के जवाब को पूरी तरह से स्क्रिप्टेड और व्हाट्सएप हिस्ट्री पर आधारित बताया है। गौरव गोगोई ने तंज कसते हुए कहा कि शाह केवल रटी-रटाई स्क्रिप्ट पढ़ रहे थे और उन्होंने विपक्ष के किसी भी ठोस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया। वहीं, मनीष तिवारी ने कानूनी दांव खेलते हुए एसआईआर (SIR) की प्रक्रिया को ही असंवैधानिक बता दिया। विपक्ष का कहना है कि जब सरकार ‘400 पार’ का नारा दे रही थी तब उन्हें वोटर लिस्ट में कोई खोट नजर नहीं आया, लेकिन अब हार के डर से नई कहानियां गढ़ी जा रही हैं।
गौरव गोगोई ने अमित शाह पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा व्हाट्सएप हिस्ट्री के सहारे चल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी, अखिलेश यादव और सुप्रिया सुले जैसे नेताओं ने जो मुद्दे उठाए, उन्हें शाह ने जानबूझकर अनसुना कर दिया। राहुल गांधी ने भी सदन से वॉकआउट करने के बाद मीडिया से कहा कि उन्होंने सीजेआई को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से हटाने और चुनाव आयोग को दी गई पूर्ण ‘इम्युनिटी’ पर सवाल दागे थे, लेकिन गृह मंत्री ने इन पर एक शब्द भी नहीं बोला। राहुल ने कहा कि हम डरे नहीं हैं और सरकार की इस चुप्पी का मतलब देश समझ रहा है।
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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बहस को नया मोड़ देते हुए संवैधानिक सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने पूछा कि आखिर चुनाव आयोग को पूरे देश में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कराने का अधिकार कहां से मिल गया? तिवारी ने दलील दी कि संविधान का अनुच्छेद 324 और 347 आयोग को ऐसी कोई शक्ति नहीं देता। विपक्ष का स्पष्ट मानना है कि गृह मंत्री ने तकनीकी तर्कों और पुराने इतिहास का सहारा लेकर आज के गंभीर सवालों को टालने की कोशिश की है। कुल मिलाकर विपक्ष ने शाह के भाषण को मुद्दों से भटकाने वाला बताया है।






