(कांसेप्ट फोटो सौ. सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : प्रियंका गांधी कभी 17 साल की उम्र में अपने पिता राजीव गांधी के साथ चुनावी प्रचार में शामिल होने और कई मौकों पर संसद में दर्शक दीर्घा से अपने पिता, मां और भाई के भाषणों की साक्षी बनीं । प्रियंका गांधी वाड्रा शनिवार को लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गईं। केरल के वायनाड से उनके निर्वाचन के बाद ये पहली बार है कि संसद में गांधी-नेहरू परिवार तीन सदस्य होंगे। उनके भाई राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं तथा मां सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं।
वो वायनाड से 4 लाख से अधिक वोटो के अंतर से चुनाव जीती हैं। इसी सीट पर उनके भाई राहुल गांधी 3.64 लाख मतों के अंतर विजयी हुए थे। प्रियंका गांधी पहली बार किसी सदन की सदस्य बनी हैं। वो 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति में आई थीं। उसके बाद से वो पार्टी महासचिव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद जून में कांग्रेस ने उनको पद देने की घोषणा की थी।
ऐसा पहले ही माना जा रहा था कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में रायबरेली संसदीय क्षेत्र रखेंगे और केरल की वायनाड सीट खाली कर देंगे। जहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी चुनावी पारी की शुरुआत करेंगी। प्रियंका गांधी को अतीत में वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संभावित चुनौती के रूप में और परिवार के गढ़ रायबरेली में कांग्रेस की दिग्गज नेता सोनिया गांधी के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया गया था,लेकिन वह जल्दीबाजी नहीं दिखाना चाहती थीं।
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बता दें कि कांग्रेस ने उन्हें वायनाड से मैदान में उतारने का फैसला किया है। जिस संसदीय सीट से उनके भाई राहुल लगातार 2 चुनावों में जीते थे। फिर प्रियंका गांधी पहले उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी थीं। इस लोकसभा चुनाव में उन्होंने रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस की जीत में प्रमुख भूमिका निभाई। वायनाड में नामांकन दाखिल करने के दौरान प्रियंका जब चुनाव प्रचार में उतरीं ।
तो उनके विरोधियों ने उन्हें राजनीति में अनुभव की कमी को लेकर घेरा। इसके जवाब में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उनके पास राजनीति में 35 साल का अनुभव है। वो 1989 में अपने पिता राजीव गांधी के साथ 17 साल की उम्र में पहली बार चुनाव प्रचार अभियान में शामिल हुई थीं। इसके अपनी दादी इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के बाद वह भी संसद में दक्षिण भारत के किसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने जा रही हैं।
1999 में अपनी मां सोनिया गांधी के लिए प्रचार
दरअसल प्रियंका गांधी 1999 में अपनी मां सोनिया गांधी के लिए चुनाव प्रचार करने उतरी थीं। इस दौरान उन्होंने पहली बार राजनीतिक मंच से बीजेपी उम्मीदवार अरुण नेहरू के खिलाफ प्रचार था। इन 25 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ा हो। कांग्रेस समर्थक प्रियंका गांधी में इंदिरा गांधी का अक्स देखते हैं और वो लंबे समय से उनके चुनावी राजनीति में उतरने की आस लगाए हुए थे। वह अपनी सियासी सूझबूझ और तोलमोल कर फैसले करने के लिए जानी जाती हैं।