असीम कुमार घोष, गजपति राजू और कविंदर गुप्ता (फोटो: सोशल मीडिया)
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार यानी आज आशिम कुमार घोष को हरियाणा का नया राज्यपाल और पुष्पापति अशोक गजपति राजू को गोवा का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया। लद्दाख के उपराज्यपाल पद से बीडी मिश्रा का इस्तीफा भी राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है।
हरियाणा राज्यपाल के तौर पर अब प्रोफेसर असीम कुमार घोष अपना कार्यभार संभालेंगे। असीम बंडारू दत्तात्रेय की जगह लेंगे जो 2021 से इस पद पर थे। फिलहाल अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि दत्तात्रेय को आगे कोई नई जिम्मेदारी दी जाएगी या नहीं। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
गोवा के नए राज्यपाल के तौर पर गजपति राजू को नियुक्ति दी गई है। वे पूर्व में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के वरिष्ठ नेता रहे हैं। यह पहली बार होगा जब केंद्र की मोदी सरकार ने किसी सहयोगी दल के नेता को राज्यपाल पद की जिम्मेदारी सौंपी है। अब तक भाजपा ने राज्यपाल के पदों पर पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व नौकरशाह या सैन्य अधिकारी नियुक्त किए थे, लेकिन राजू की नियुक्ति इस नीति में एक नया बदलाव मानी जा रही है।
लद्दाख में प्रशासनिक फेरबदल किया गया है। अभी तक लद्दाख के उपराज्यपाल रहे ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। उनकी जगह जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है।
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कविंदर गुप्ता जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं और लंबे समय से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। उन्हें लद्दाख की भौगोलिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिस्थितियों की अच्छी समझ मानी जाती है। यही वजह है कि उन्हें इस क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गुप्ता की नियुक्ति को पार्टी की रणनीतिक सोच का हिस्सा माना जा रहा है।
President Droupadi Murmu appoints Prof. Ashim Kumar Ghosh as Governor of Haryana, Pusapati Ashok Gajapathi Raju as Governor of Goa and Kavinder Gupta appointed as Lieutenant Governor of Ladakh.
President Murmu accepts the resignation of Brig (Dr) BD Mishra (Retd) as Lieutenant… pic.twitter.com/hxnrh4Oke6
— ANI (@ANI) July 14, 2025
विशेषज्ञों की मानें तो इन नई नियुक्तियों से जहां भाजपा संगठन में संतुलन साधने की कोशिश कर रही है वहीं सहयोगी दलों को भी भरोसे में लेने का संदेश देने का प्रयास किया गया है। यह कदम आगामी राजनीतिक समीकरणों और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए उठाया गया बताया जा रहा है।