
पूजा खेडकर (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: पूर्व IAS प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर पर लगे फर्जी विगलांगता प्रमाण पत्र से चयन होने के आरोपों के मामले और विवादित व्यवहार के कारण सूर्खियों में आई अधिकारी की उम्मीदवारी संघ लोक सेवा आयोग ने रद्द कर दी थी। इस मामले में पहली बार पूजा खेडकर का जवाब आया है। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए अपने पर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया हैं। कोर्ट में पूजा ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के पास उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का अधिकार नहीं है।
पूजा खेडकर ने इस मामले में कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि एक बार जब कोई उम्मीदवार परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में चयनित और नियुक्त हो जाता है, तो इसके बाद UPSC के पास उसकी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने की शक्ति समाप्त हो जाती है। पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में स्पष्ट किया है कि उन्होंने किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या गलत जानकारी संघ लोक सेवा आयोग को नहीं दी है।
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पूजा खेडकर ने अपने जवाब में कहा है कि 2012 से 2022 तक उनके नाम या उपनाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि “यूपीएससी ने मेरी पहचान बायोमेट्रिक डेटा के माध्यम से सत्यापित की थी, और आयोग ने मेरे द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेजों को मान्य पाया था।”
पूर्व प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर ने अदालत में यह भी कहा कि उन्होंने सभी दस्तावेज और विवरण, जैसे कि शैक्षणिक प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, जन्मतिथि, और व्यक्तिगत जानकारी सही तरीके से जमा किए हैं। खेडकर में अपने फर्जी दस्तावेज सहित अन्य सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया हैं।
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पूजा खेडकर का कहना है कि केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने उनके बारे में सभी आवश्यक सत्यापन किए थे। दिव्यांगता का परीक्षण एम्स द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने किया, जिसने उनकी दिव्यांगता को PwBD श्रेणी के लिए आवश्यक 40% से अधिक, यानी 47% पाया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेज़ सत्य और सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी किए गए हैं।
पूजा खेडकर ने 2020-21 तक ओबीसी कोटे के तहत ‘पूजा दिलीप्राव खेडकर’ नाम से परीक्षा दी थी। 2021-22 में, जब उनके सभी प्रयास समाप्त हो गए, उन्होंने ओबीसी और PwBD (व्यक्ति मानक विकलांगता के साथ) कोटे के तहत ‘पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर’ नाम से परीक्षा दी और 821वीं रैंक प्राप्त की। इस नाम बदलने के विवाद को लेकर ही यूपीएससी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की।
बता दें कि पूजा खेडकर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने नाम और पहचान के बारे में गलत जानकारी दी थी। इसके बाद यूपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी को रद्द किया और वहीं पूजा खेडकर को भविष्य में भी किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन खेडकर ने इन आरोपों का विरोध किया है और अदालत में कहा है कि उन्होंने कभी भी अपने नाम या पहचान के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की है।






