प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फोटो- सोशल मीडिया
Eid E Milad Un Nabi 2025: पीएम मोदी ने मिलाद-उन-नबी यानी बारावफात को शांति, करुणा और सेवा के मूल्यों को अपनाने का अवसर बताया। उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखे अपने संदेश में कहा कि यह पवित्र दिन समाज में सौहार्द और खुशहाली लेकर आए। उन्होंने लिखा, “करुणा, सेवा और न्याय के मूल्य सदैव हमारा मार्गदर्शन करें। ईद मुबारक।”
बारावफात, जिसे मिलाद-उन-नबी भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व इस्लामी कैलेंडर के तीसरे महीने ‘रबी-अल-अव्वल’ में आता है। सुन्नी मुस्लिम इसे 12 रबी-अल-अव्वल को मानते हैं, जबकि शिया समुदाय 17 रबी-अल-अव्वल को पैगंबर का जन्मदिन मनाता है।
मिलाद-उन-नबी का अर्थ है “पैगंबर का जन्म”। इसे कुछ जगहों पर “मौलिद” भी कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “जन्म देना”। यह दिन न केवल पैगंबर मोहम्मद के जन्म की याद दिलाता है, बल्कि उनके जीवन के आदर्शों और शिक्षाओं को अपनाने की प्रेरणा भी देता है। पैगंबर मोहम्मद का जन्म लगभग 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। छह वर्ष की उम्र में वे अनाथ हो गए और उनका पालन-पोषण दादा और फिर चाचा ने किया। 40 वर्ष की उम्र में उन्हें अल्लाह का पहला संदेश मिला, जो बाद में पवित्र कुरान का हिस्सा बना।
Best wishes on the occasion of Milad-un-Nabi.
May this sacred day bring with it peace and well-being in our society. May the values of compassion, service and justice always guide us.
Eid Mubarak!
— Narendra Modi (@narendramodi) September 5, 2025
इस दिन को पूरी दुनिया में मुसलमान श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। मस्जिदों में विशेष नमाज़ और दुआ होती है, जुलूस निकाले जाते हैं और पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं का प्रचार किया जाता है। भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, मलेशिया जैसे देशों में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है। लोग घरों में मिठाइयाँ बांटते हैं, धार्मिक सभाएं आयोजित होती हैं और गरीबों की मदद की जाती है।
हालांकि, कुछ देशों में जैसे सऊदी अरब और कतर में बारावफात नहीं मनाया जाता, क्योंकि वहां के धार्मिक विचारों में जन्मदिवस जैसे आयोजनों को उचित नहीं माना जाता। मुस्लिम धर्मगुरु के अनुसार बारावफात केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह दिन हमें इंसानियत, विनम्रता, भाईचारा और अल्लाह में एकता के संदेश को अपनाने की याद दिलाता है। पैगंबर मोहम्मद की जिंदगी सेवा, त्याग और करुणा की मिसाल रही है, और उनका जीवन आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि पूरे देश को आपसी सौहार्द और सद्भाव की भावना को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।