दक्षिण और मध्य कश्मीर के घने जंगलों तक पहुंचा सर्च ऑपरेशन
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले को एक महीना बीत चुका है, लेकिन लश्कर के मूसा फौजी ग्रुप से जुड़े चार आतंकियों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। इनमें तीन विदेशी और एक स्थानीय आतंकी शामिल हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने हमले के 24 घंटे के भीतर इनके स्केच जारी कर दिए थे, लेकिन ऑपरेशन अब दक्षिण और मध्य कश्मीर के घने जंगलों में सीमित होकर रह गया है। सुरक्षाबलों की टीमें अनंतनाग से कोकरनाग, त्राल से लेकर डाचीगाम फॉरेस्ट तक लगातार तलाशी अभियान चला रही हैं, लेकिन अब तक आतंकियों तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने ऑपरेशन से पहले अपने लिए सुरक्षित आश्रय, हथियार और राशन तैयार कर रखा था और अब वे पूरी तरह रेडियो साइलेंस में हैं। यही वजह है कि न तो कोई बातचीत इंटरसेप्ट हो रही है, न कोई खुफिया इनपुट सामने आया है। ऑपरेशन अब केवल फिजिकल स्कैनिंग पर निर्भर है, जहां सुरक्षाबल भूसे के ढेर में सुई खोजने जैसा कठिन काम कर रहे हैं।
सुराग अब तक क्यों नहीं मिला
हमले के बाद से सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेरकर सघन तलाशी अभियान शुरू किया था। लेकिन अब तक न कोई हीट सिग्नेचर मिला है, न कोई हैंडलर से संपर्क पकड़ा गया है। माना जा रहा है कि आतंकी जंगलों में किसी पुराने ठिकाने में छिपे हो सकते हैं और तकनीकी ट्रैप से बचने के लिए वे पूरी तरह रेडियो साइलेंस मोड में हैं। अभियान को जमीनी स्तर पर अंजाम देने के लिए कोकरनाग से डाचीगाम तक के इलाकों को खंगाला जा रहा है, लेकिन हर गुजरते दिन के साथ यह ऑपरेशन और पेचीदा होता जा रहा है।
सुरक्षाबलों की रणनीति और चुनौतियां
अधिकारियों का कहना है कि ऑपरेशन की तीव्रता में कोई कमी नहीं है, लेकिन इलाके की भौगोलिक स्थिति इसे चुनौतीपूर्ण बना रही है। घने जंगल, उबड़-खाबड़ रास्ते और आतंकियों की पूर्व नियोजित तैयारी सुरक्षाबलों को बार-बार चौंका रही है। स्थानीय लोगों से भी सहयोग मांगा जा रहा है, लेकिन आतंकियों की रणनीतिक चुप्पी ने पूरी कार्रवाई को धीमा कर दिया है। फिलहाल लक्ष्य आतंकियों को निष्क्रिय करना है, और इसके लिए अभियान को अगले स्तर तक ले जाने की योजना बनाई जा रही है।