नीति आयोग की बैठक (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को मोदी3.0 का पहला बजट पेश किया। जिसे कई माईनों में भारत के लिए प्रभावशाली बताया गया है। लेकिन इस बजट को लेकर विपक्ष की आनाकानी तेज हो गई है और विपक्ष इस बजट का लगातार रूप से बहिष्कार कर रहे है। इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने आम बजट 2024-25 को भेदभावपूर्ण बताया है।
इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने आम बजट 2024 पर पूर्ण रूप से विरोध जताने का दावा करते हुए नीति आयोग के बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है। नीति आयोग की बैठक 27 जुलाई को होनी है जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी करने वाले है।
बजट के पेश होने के बाद विपक्ष लगातार रूप से इसे सरकार बचाने वाला बजट बता रही है। इसके साथ ही विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस महीने की 27 तारीख को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। बात अगर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में शामिल होकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएंगी। लेकिन तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, पंजाब समेत विपक्ष शासित सभी राज्य के सीएम ने नीति आयोग के बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उनका आरोप है किआम बजट में गैर एनडीए शासित राज्यों की अनदेखी की गई है। इसी वजह से वे इस बजट के विरोध में इस बैठक का बहिष्कार करेंगे।
बजट पेश होने के बाद विपक्ष एक अलग सुर लाप रहा है। जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव केंद्र सरकार के इस बजट पर लगातार टिप्पणी कर रहे है, तो दूसरी तरफ बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में शामिल होने पर हामी भर दी है। जिससे साफ तौर पर पता चल रहा है कि विपक्षी नेता अब एक राह पर नहीं चल रहे है। नीति आयोग की बैठक की बात करें तो कांग्रेस के 3 मुख्यमंत्रियों समेत विपक्षी दलों के 4 मुख्यमंत्री 27 जुलाई को नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे।
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इंडिया ब्लॉक के विरोध के बीच बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है इसके साथ ही ममता बनर्जी ने कहा है कि वह नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार नहीं करेंगी। केंद्र सरकार के इस बजट को लेकर विपक्ष मोदी सरकार को घेरने की जबरदस्त तैयारी में लगा है। मोदी सरकार को घेरने के लिए रणनीति भी बनाई जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार सरकार को घेरने की रणनीति तय करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर बैठक बुलाई गई थी। इसमें तृणमूल कांग्रेस के नेता तो शामिल हुए लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता इस बैठक से गायब रहे। जिसके बाद से ये साफ तौर पर मालूम पड़ रहा है कि विपक्ष किसी भी मुद्दें को लेकर सहमति नहीं जता पा रहा है।
बजट के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार से कई सारे सवाल किए। अखिलेश यादव ने पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए कोई बड़ा फैसला है, जो प्रधानमंत्री देते हैं? पिछली बार उत्तर प्रदेश में मंडी को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई थीं लेकिन एक भी मंडी नहीं बनी। इसके साथ ही सांसद अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने बेरोजगारी बढ़ाई है और अब आधी-अधूरी नौकरी और इंटर्नशिप की बात कर रही है। ट्रेनिंग और इंटर्नशिप करके नौकरी का सपना दिखाया जा रहा है। देश का युवा अपना भविष्य बनाने के लिए स्थायी नौकरी चाहता है।
आम बजट को लेकर विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि केंद्रीय बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए की गई घोषणाएं सरकार बचाने’ की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों और युवाओं के साथ-साथ पूरे देश की अनदेखी की है। देश के युवाओं को आधी-अधूरी नौकरी नहीं बल्कि स्थायी नौकरी चाहिए। आंकड़ों के हिसाब से बड़ी-बड़ी बातें कही जाती हैं, लेकिन जो परियोजनाएं चल रही हैं, वे समय पर पूरी नहीं हुई हैं, अगर सरकार को बचाना है तो यह अच्छी बात है कि बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज या विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है।