ममता बनर्जी, फोटो- सोशल मीडिया
Mamta Banerjee Kaaba Song: पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान एक पंडाल में ‘काबा-मदीना’ गाने के इस्तेमाल को लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसे हिंदू भावनाओं का अपमान बताया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सांप्रदायिक तुष्टिकरण का आरोप लगाया है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने दुर्गा पूजा के दौरान एक पंडाल में ‘काबा-मदीना’ गाने के बजने को लेकर नाराजगी जाहिर की और इसे सनातन संस्कृति का अपमान बताया। त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस और इंडिया गठबंधन सांस्कृतिक तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।
शनिवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में त्रिवेदी ने कहा कि जब पूरा देश शक्ति की उपासना में लीन है, तब पश्चिम बंगाल में एक दुर्गा पंडाल में “मेरे दिल में है काबा और मेरे मन में है मदीना” जैसे बोल वाला गाना बजाया गया। उनका आरोप था कि यह सब ममता बनर्जी की मौजूदगी में हुआ और इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं।
त्रिवेदी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पुराने बयान “शक्ति से लड़ने” को उद्धृत करते हुए इसे सनातन विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “किसी के मन में कोई भी आस्था हो सकती है, लेकिन नवरात्रि के पंडाल में ऐसे गाने बजाना क्या हिंदू भावनाओं का अपमान नहीं है?” उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब कट्टरपंथी वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।
सुधांशु त्रिवेदी ने कर्नाटक में मैसूर दशहरे के उद्घाटन में ‘बानू मुस्तफा’ से पूजा कराने की घटना का हवाला देते हुए कहा कि यह सिलसिला अब राज्य दर राज्य फैलता जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि राम मंदिर के आमंत्रण को ठुकराने वाले नेता अब दुर्गा पंडालों में जबरन अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने ममता सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के संभावित पंडाल दौरे से पहले संबंधित स्थान पर लगे पोस्टर हटाकर ममता बनर्जी के पोस्टर लगाए गए। उन्होंने यह भी कहा कि एक पंडाल, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की थीम थी, उसे सरकार ने बंद करवा दिया और वित्तीय मदद भी वापस ले ली गई।
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जहां भाजपा ने इसे साफ तौर पर सांस्कृतिक अपमान और तुष्टिकरण की राजनीति कहा, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने अपने बचाव में कहा कि यह धार्मिक सद्भाव की मिसाल है और बंगाल की संस्कृति सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाती है।