जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (फोटो- सोशल मीडिया)
Omar Abdullah EVM statement: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसी बातें कही हैं जो राजनीति में चर्चा का विषय बन गई हैं। ईवीएम में गड़बड़ी के मुद्दे पर उन्होंने विपक्ष की आम राय से हटकर बयान दिया है। उमर ने साफ किया कि वह ईवीएम हैकिंग की थ्योरी को नहीं मानते और न ही उन्हें लगता है कि मशीनों में कोई चोरी होती है। दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे पर उनकी राय अपने ही पिता फारूक अब्दुल्ला से बिल्कुल मेल नहीं खाती, जो मानते हैं कि मशीनों में छेड़छाड़ संभव है।
उमर ने बड़े ही सरल अंदाज में कहा कि यह मुद्दा उनके घर में भी बहस का कारण बनता है। उन्होंने कार्यक्रम के मंच से अपने पिता से माफी मांगते हुए कहा कि वह उस पीढ़ी के हैं जो फोन पर आने वाली हर जानकारी पर भरोसा कर लेते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता। हालांकि, उमर ने यह जरूर स्वीकार किया कि चुनाव को मशीन हैक करके नहीं, बल्कि दूसरे तरीकों से धोखे से प्रभावित किया जा सकता है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां वोटर लिस्ट में बदलाव या विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करके किसी एक पार्टी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई थी, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए सही नहीं है।
अपनी बात रखते हुए उमर अब्दुल्ला ने भारतीय जनता पार्टी की चुनावी कार्यशैली की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि हमें अपने विरोधियों की अच्छाइयों को भी देखना चाहिए। भाजपा के नेता हर चुनाव को पूरी ताकत और शिद्दत से लड़ते हैं, मानो उनका पूरा जीवन उसी एक चुनाव पर निर्भर हो। उन्होंने तुलना करते हुए बताया कि बिहार चुनाव खत्म होते ही भाजपा नेता अगले राज्यों में प्रचार के लिए पहुंच गए, जबकि हम और अन्य विपक्षी दल चुनाव से महज दो महीने पहले जागते हैं। चुनावों के नतीजों में अंतर आने की यह एक बड़ी और अहम वजह है।
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विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के भविष्य और रणनीति पर चिंता जाहिर करते हुए उमर ने कहा कि क्षेत्रीय दल अपने दम पर कितना भी जोर लगा लें, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को चुनौती देने के लिए कांग्रेस का साथ होना अनिवार्य है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूरे देश में भाजपा के बाद सिर्फ कांग्रेस ही है जिसका व्यापक जनाधार है। इसलिए किसी भी मजबूत गठबंधन को कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही बनना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें या तो पूरी तरह एकजुट रहना होगा या फिर राज्यों के गणित के हिसाब से तालमेल बैठाना होगा, लेकिन कांग्रेस के बिना केंद्र की राजनीति में बदलाव लाना मुश्किल है।