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PM Modi @75: जब गुजरात के दो बड़े नेताओं की गुटबाजी के चलते, नरेंद्र मोदी को मिला था राजनीतिक वनवास

PM Modi: नरेंद्र मोदी को राजनीति के सफर में दो बार वनवास का सामना करना पड़ा। पहली बार 1996 में गुजरात की गुटबाजी के कारण और दूसरा 2002 में गोधरा कांड के बाद, जब उन्हें BJP ने ही अलग-थलग कर दिया था।

  • By अक्षय साहू
Updated On: Sep 16, 2025 | 10:08 PM

नरेंद्र मोदी (फोटो- सोशल मीडिया)

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Happy birthday PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गिनती आज दुनिया के सबसे करिश्माई नेताओं में होती है। लगातार तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर तीन बार देश के प्रधानमंत्री पद को संभालने वाले वो देश के एकलौते नेता हैं। लेकिन शायद ही किसी को यकीन होगा कि एक समय पर उन्हें गुजरात के दो बड़े नेताओं की गुटबाजी के चलते राजनीतिक वनवास का भी सामना करना पड़ा था। जहां से उनकी वापसी लगभग असंभव थी, पर फिर कुछ ऐसा हुआ कि उनकी वापसी हुई और वह बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में हुई।

नरेंद्र मोदी ने राजनीति की शुरुआत आरएसएस से की थी। आपातकाल (1975–77) में भूमिगत रहते हुए उन्होंने संगठन को सक्रिय रखा। बाद में भाजपा में शामिल होकर उन्होंने चुनाव प्रबंधन और रणनीति में अपनी अलग पहचान बनाई। माना जाता है कि अपने काम करने के तरीके के चलते लोगों ने तब ही मान लिया था कि वह बहुत दूर तक जाएंगे। 1989 में आडवाणी की रथयात्रा और 1991 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा की सफलता के पीछे मोदी की अहम भूमिका थी। इससे वह गुजरात भाजपा के बड़े नेता बन गए।

गुटबाजी के चलते मिला वनवास

1995 में गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला। लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर शंकरसिंह वाघेला और केशुभाई पटेल के बीच टकराव हुआ। मोदी वाघेला के विरोधी खेमे के साथ खड़े दिखे। इसके चलते जब वाघेला 1996 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने केशुभाई पटेल को लेकर तो किसी तरह से समझौता कर लिया, लेकिन मोदी के नाम पर अड़ गए और दिल्ली में बैठे शीर्ष नेतृत्व को साफ संदेश दे दिया कि उनके मुख्यमंत्री रहते वे मोदी को गुजरात की राजनीति में नहीं देखना चाहते। नतीजतन, 1996-97 में मोदी को गुजरात से हटाकर दिल्ली बुला लिया गया।

यह भी पढ़ें: PM Modi @75: RSS ने बनाया मोदी के लिए दिल्ली के तख्त तक का रास्ता, क्यों मिला था PM पद इनाम?

उन्हें दिल्ली में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों का प्रभारी बनाया गया। कहने के लिए तो उनका प्रमोशन हुआ था, पर मोदी को पता था कि यह प्रमोशन से ज्यादा सजा थी। हालांकि, उन्होंने किसी से इसकी शिकायत नहीं की और संगठन व चुनाव प्रबंधन पर चुपचाप काम करने लगे। उन्होंने इस दौरान बूथ स्तर तक की रणनीति, कैडर की सक्रियता और प्रचार अभियानों में काम किया। यही वह दौर था जब उनकी पहचान दिल्ली में बैठे कई वरिष्ठ नेताओं और पत्रकारों से हुई, जिससे आगे चलकर पहले उन्हें गुजरात की राजनीति में पैर जमाने में मदद मिली और फिर दिल्ली में।

मुख्यमंत्री बनाए जाने पर हैरान थे मोदी

2001 में नरेंद्र मोदी की किस्मत ने एक बार फिर करवट ली और उन्हें दिल्ली से गुजरात वापस लौटने का आदेश मिला। इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि 2001 आते-आते गुजरात में भाजपा सरकार की लोकप्रियता कम होने लगी थी। मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल स्वास्थ्य और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर कमजोर पड़ रहे थे। ऐसे में पार्टी आलाकमान को गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर किसी नए, मुखर हिंदुत्ववादी नेता की तलाश थी, जो मोदी पर आकर समाप्त हुई। इसके बाद भाजपा नेतृत्व ने नरेंद्र मोदी को गुजरात का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया। अक्टूबर 2001 में उन्होंने शपथ ली और यहीं से उनके वनवास का अंत हुआ। मोदी बताते हैं कि उन्हें अपनी नियुक्ति पर खुद भी यकीन नहीं हुआ था, क्योंकि वह लंबे वक्त से गुजरात से दूर थे और उस समय भाजपा में कई बड़े नेता थे, जो गुजरात के मुख्यमंत्री की भूमिका निभा सकते थे।

यह भी पढ़ें: PM Modi @75: जन्मदिन पर क्या करेंगे PM मोदी? इन महिलाओं के खाते में भेजेंगे पैसे, देंगे कई खास तोहफे

गोधरा कांड के बाद मिला दूसरा वनवास

नरेंद्र मोदी उन नेताओं में से एक हैं जिन्हें उनके राजनीतिक सफर में एक से ज्यादा बार राजनीतिक वनवास का सामना करना पड़ा हो। उन्हें दूसरा राजनीतिक वनवास 2002 में गोधरा कांड के बाद मिला। जब पार्टी ने उन्हें राष्टीय राजनीति से पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया गया था। दरअसल, गोधरा कांड के बाद उनकी ही पार्टी के कई नेता चाहते थे कि मोदी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दें। इन नेताओं में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और राजनाथ सिंह जैसे नेता शामिल थे। यहां तक कि 2014–2022 तक मोदी कैबिनेट में अलग-अलग मंत्रालयों की कमान संभाल चुकीं स्मृति ईरानी, जिन्होंने राजनीति में नया-नया कदम रखा था, उन्होंने गोधरा कांड के बाद गुजरात के एक समारोह में शामिल होने के दौरान भरे मंच से उनका इस्तीफा मांग लिया था।

Narendra modi political exile due to factionalism between gujarat leaders

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Published On: Sep 16, 2025 | 09:27 PM

Topics:  

  • Gujrat
  • Narendra Modi
  • PM Narendra Modi Birthday

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