पीएम मोदी (फोटो- सोशल मीडिया)
PM Narendra modi Birthday Special: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसा नाम है, जो भारत के हर बच्चे की जुबान पर है। पंडित जवाहर लाल नेहरु और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्हें देश की जनता ने खूब प्रेम दिया। वर्तमान में पीएम मोदी की लोकप्रियता का भारत में कोई सानी नहीं है। वह दुनिया के भी लोकप्रिय नेताओं की लिस्ट में टॉप पर हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनकी प्रसिद्धि में गुणात्मक उछाल आया है, हालांकि गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने काफी नाम किया था। उनके कार्य को देखते हुए RSS को तब के गुजरात के सीएम मोदी में एक उम्मीद नजर आई थी। इसके बाद उन्हें दिल्ली लाया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 17 सिंतबर को जन्मदिन है। 17 सिंतबर 2025 को वह 75 साल के हो जाएंगे। उनके इस जन्मदिन पर हम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में संघ की भूमिका और इसकी वजह का जिक्र करेंगे। ऐसी क्या वजह थी, जिसके कारण भाजपा के दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर संघ ने नरेंद्र मोदी को 2013 में प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित करवा दिया।
2013 में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने गोवा में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का चेहरा घोषित किया था। इस घोषणा से भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वाराज, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता बेहद नाराज हो गए। हालांकि राजनाथ सिंह अपने फैसले पर अड़े रहे। ऐसा कहा जाता है कि राजनाथ सिंह के फैसले के पीछे RSS की बैकिंग थी। इसलिए दिग्गज नेताओं की नाराजगी के बावजूद भी राजनाथ सिंह अपने फैसले पर अडिग रहे।
इसके पीछे की वजह संघ से नरेंद्र मोदी के संबंध और हिंदूवादी नेता की छवि बताई गई। यह ऐसा दौर था जब भाजपा आशंकित थी, यदि नई रणनीति और नए चेहरे के साथ चुनाव में नहीं उतरते हैं तो कहीं 2004 की हार रिपीट न हो जाए। वहीं दूसरी तरफ 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने तो संघ को लगा कि सरकार RSS की जरूरतों और उनके मुद्दों पर ध्यान देगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अटल संघ की विचारधारा के उलट सॉफ्ट हिंदुत्व और गंगा जमुनी तहजीब की दुहाई देते थे। यही वजह रही कि संघ दूसरी बार किसी सॉफ्ट हिंदुत्व वाले नेता को न चुनकर एक आक्रामक नेता को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाकर वो काम करवाना चाहती थी, जो भाजपा और संघ के साझा एजेंडे थे।
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संघ और भाजपा की रणनीति सफल हुई। 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। अब बारी थी उन प्रमुख एजेंडों की जिन्हें भाजपा और संघ पूरा करना चाहती थी।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माणः अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हुआ और 2024 में रामलला का प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हुआ। राम मंदिर के लिए भाजपा और संघ ने संयुक्त रूप से लंबी लड़ाई लड़ी थी।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना: जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर भाजपा और संघ लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। संघ और भाजपा का कहना था कि एक देश एक विधान और एक निशान होना चाहिए। भाजपा के इस एजेंडे को भी भारत सरकार ने 2019 में खत्म कर दिया।
गौ हत्या पर प्रतिबंधः वर्तमान में कई राज्यों में भाजपा की सरकार है। भाजपा शासित राज्यों में गौ-हत्या पर सख्त कानून बनाए गए हैं।
समान नागरिक संहिता लागू करनाः समान नागरिक संहिता की दिशा में कदम उठाए गए हैं। केंद्र सरकार जल्द ही संसद में बिल पेश कर सकती है। वहीं उत्तराखंड में UCC लागू करके एक बड़े कदम की शुरुआत की गई।