गुजरात की GIFT सिटी, फोटो सोर्स- सोशल मीडिया
GIFT City Liquor Update: करीब छह दशक से ‘ड्राई स्टेट’ की पहचान रखने वाले गुजरात में एक बड़ा नीतिगत बदलाव आया है। महात्मा गांधी की जन्मभूमि पर दशकों पुरानी शराबबंदी की सख्त नीति को अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के लिए लचीला बनाया जा रहा है, जिससे राज्य की पारंपरिक छवि में बड़ा बदलाव दिखेगा।
गुजरात की पहचान लंबे समय से पूर्ण शराबबंदी वाले राज्य के रूप में रही है। इस नीति की जड़ें महात्मा गांधी के विचारों में समाई हुई हैं, जो शराब को एक सामाजिक बुराई मानते थे। गांधी जी का मानना था कि शराब गरीबी, घरेलू हिंसा और नैतिक पतन का मुख्य कारण है। 1960 में राज्य के गठन के बाद से ही गुजरात ने इस सख्त नीति को अपनाए रखा, जिसका कानूनी आधार बॉम्बे प्रोहिबिशन एक्ट, 1949 है। दशकों तक यह नीति केवल कानून नहीं, बल्कि गुजरात की सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान का हिस्सा रही है।
20 दिसंबर 2025 को गुजरात सरकार ने एक महत्वपूर्ण गजट अधिसूचना जारी की, जिसने GIFT सिटी (गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी) के ‘ड्राई’ टैग को काफी हद तक बदल दिया है। इस नई नीति के तहत, अब गैर-निवासी और विदेशी नागरिक बिना किसी अस्थायी परमिट के तयशुदा होटलों और रेस्टोरेंट में शराब का सेवन कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें केवल एक वैध फोटो पहचान पत्र दिखाना होगा। यह कदम 2023 में दी गई उस छूट का विस्तार है, जहाँ पहली बार इस विशेष आर्थिक क्षेत्र में सीमित अनुमति दी गई थी।
इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण आर्थिक विकास की महत्वाकांक्षा है। GIFT सिटी की परिकल्पना 2007 में नरेंद्र मोदी ने भारत को वित्त और तकनीक का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए की थी। इसे दुबई और सिंगापुर जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्रों की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि सख्त शराबबंदी विदेशी प्रतिभाओं और निवेशकों को आकर्षित करने में बाधा बन रही थी। वैश्विक व्यापार संस्कृति में ‘वाइन एंड डाइन’ को नेटवर्किंग का हिस्सा माना जाता है, इसलिए GIFT सिटी को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इसे एक ‘व्यावहारिक अपवाद’ के रूप में देखा जा रहा है।
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नियमों में इस ढील ने राज्य में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। आलोचकों का तर्क है कि यह फैसला गांधीवादी मूल्यों के साथ समझौता है और एक ही राज्य में दो अलग-अलग कानून (खास वर्ग के लिए छूट और आम जनता के लिए पाबंदी) सामाजिक भेदभाव को दर्शाता है। वहीं, समर्थकों का कहना है कि यह एक संतुलित कदम है जो राज्य की मूल नीति को कमजोर किए बिना आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करता है। हालांकि, यह छूट केवल GIFT सिटी की भौगोलिक सीमा तक ही सीमित रहेगी और गुजरात के आम निवासियों के लिए शराबबंदी के नियम पहले की तरह ही सख्त बने रहेंगे।