नरेंद्र मोदी और एमके स्टालिन (फोटो- सोशल मीडिया)
चेन्नई: भाषा व परिसीमन को लेकर केंद्र सरकार व तमिलनाडु सरकार में छिड़ी जंग एक तरफ थमने का नाम नहीं ले रही है, दूसरी तरफ एमके स्टालिन ने तो भाजपा व केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है। अब तमिलनाडु में शनिवार को द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के बीच मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र की भाजपा सरकार पर मनरेगा मजदूरों की दुर्दशा को लेकर बेपरवाह होने का आरोप लगाया।
स्टालिन ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के श्रमिकों को दिया जाने वाला वेतन जारी न करने के लिए भाजपा सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा भाजपा को महात्मा गांधी और उनके नाम चल रही 100 दिन के काम की गारंटी देने वाली मनरेगा योजना पसंद नहीं है।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में पूछा, “निर्दयी भाजपा ने संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) की सरकार द्वारा भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ और जीवनदायिनी के रूप में विकसित मनरेगा को नष्ट करने का लक्ष्य रखा है। जब एक हस्ताक्षर से कॉरपोरेट्स के लिए लाखों करोड़ रुपये माफ कर दिए जाते हैं, तो चिलचिलाती धूप में पसीना बहाने वाले गरीबों को वेतन के रूप में कोई पैसा क्यों नहीं दिया जाता? गरीबों लिए पैसा नहीं है या फिर गरीबों के लिए उनके दिल में कोई जगह नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि तमिलनाडु में आज के विरोध प्रदर्शन के माध्यम से द्रमुक सदस्यों और गरीब लोगों की आवाज नयी दिल्ली तक पहुंचनी चाहिए। भाजपा सरकार से मनरेगा मजदूरों के लिए बकाया 4,034 करोड़ रुपये तुरंत जारी करने की मांग करते हुए द्रमुक कार्यकर्ताओं ने कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी हिस्सा लिया।
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बता दें कि पिछले कुछ महीनों से तमिलनाडु सरकार व केंद्र सरकार में तनातानी चल रही है। इस विवाद की शुरूआत नई शिक्षा नीति में भाषा को लेकर हुई। इसके बाद परिसीमन आ गया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ये विवाद राजनीतिक रूप से DMK को लाभ पहुंचाने वाले हैं। इसलिए स्टालिन इनपर जमकर खेल रहे हैं।