विधानसभा अध्यक्ष राथर पर महबूबा मुफ्ती का हमला
श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आज यानी रविवार को कहा कि विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका सदन के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करना है, ना कि ‘सेंसर’ (नियंत्रक) की तरह काम करना है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर एक तरह का ‘मार्शल लॉ’ लागू करने का आरोप लगाया। उनकी यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर द्वारा बजट सत्र से पहले सदन के कामकाज के नोटिस के प्रचार को गंभीरता से लेने के बाद आई है।
जानकारी दें कि, विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से विशेषाधिकार हनन से दूर रहने को कहा है। इस बाबत जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने राथर पर संवैधानिक पद पर रहते हुए एक तरह का ‘मार्शल लॉ’ लागू करने का आरोप लगाया। उन्होंने ‘X’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘राथर साहब भले ही विधायी कार्यवाही की पवित्रता को बनाए रखने के बारे में चिंतित हों, लेकिन अध्यक्ष के तौर पर उनकी प्राथमिक भूमिका सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करना है, न कि ‘सेंसर’ की तरह काम करना है।”
While Rathar Sahab may be concerned with preserving the sanctity of legislative proceedings, as Speaker, his primary role is to safeguard the rights of members, not to act as a censor. Transparency and public awareness of legislative activities should not be seen as an… https://t.co/Hc7jfqqgAC
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) February 23, 2025
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महबूबा मुफ्ती ने कहा कि, विधायी गतिविधियों के बारे में पारदर्शिता और जन जागरूकता को संसदीय प्रथाओं के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इसके विपरीत, नोटिस, प्रश्नों और प्रस्तावों के बारे में जनता को पहले से सूचित करना जवाबदेही को बढ़ावा देता है। हाल ही में वक्फ विधेयक जैसे कई महत्वपूर्ण संसदीय विधेयकों पर महीनों तक सार्वजनिक रूप से बहस होती रही।”
पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने यह भी कहा कि, ‘‘दुर्भाग्य से ऐसा प्रतीत होता है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए राथर साहब एक तरह का ‘मार्शल लॉ’ लागू कर रहे हैं।” इस बीच मुफ्ती दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में शराब पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के हस्ताक्षर अभियान में शामिल हुईं। इस अभियान की शुरुआत शनिवार को उनकी बेटी और पार्टी नेता इल्तिजा मुफ्ती ने की थी।
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इसके साथ ही पुलवामा में पत्रकारों से बात करते हुए पीडीपी प्रमुख ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से उनकी पार्टी द्वारा लाए गए विधेयकों का समर्थन करने की अपील की। मुफ्ती ने अब्दुल्ला से यह भी अपील की कि केंद्र शासित प्रदेश में ऐसे नियम नहीं बनाए जाने चाहिए जो 5 अगस्त, 2019 के असंवैधानिक और अवैध फैसलों पर स्वीकृति की मुहर लगाते हों और वह भी उनकी जैसी लोकप्रिय सरकार द्वारा। केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)