मनोज सिन्हा, पीएम मोदी, अमित शाह
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी में संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया इस वक्त एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। एक मीडिया रिपोर्ट में पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव जून के तीसरे या चौथे हफ्ते में संपन्न हो सकता है। इसके लिए जरूरी चुनावी प्रक्रिया जून के दूसरे हफ्ते से शुरू हो सकती है।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद से ही पार्टी संगठन के पुनर्गठन की कवायद में है। वर्तमान में जेपी नड्डा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जिनका कार्यकाल पहले ही एक बार बढ़ाया जा चुका है। नड्डा जनवरी 2020 में अध्यक्ष बने थे और उनका कार्यकाल 2023 में ही लोकसभा चुनाव तक के लिए बढ़ाया गया था। अब आम चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं, पार्टी नेतृत्व में संभावित बदलाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है।
वहीं पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह के करीबी जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा को कथित तौर पर पार्टी संगठन में प्रमुख भूमिका देने पर बात चल रही है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि सिन्हा सबसे अच्छे चुनावी रणनीतिकारों में से एक हैं और सख्त टास्कमास्टर हैं। पार्टी प्रमुख के पद के लिए उनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
एक और नाम जो अचानक चर्चा में आया है, वह है जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का। भाजपा के एक वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अप्रत्याशित फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए अगर मनोज सिन्हा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो यह आश्चर्यजनक जरूर होगा, लेकिन असंभव नहीं। सूत्रों का यह भी मानना है कि अगला अध्यक्ष अपेक्षाकृत युवा चेहरा हो सकता है। वहीं मनोज सिन्हा को यूपी संगठन में भी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
मनोज सिन्हा के करीबी की माने तो उप राज्यपाल के पद पर वो बहुत खुश नही है क्योंकि जबतक जम्मू कश्मीर में कोई सरकार का गठन नही हुआ था तबतक वो सिंगल लीडरशिप की स्थिति से बहुत खुश थे लेकिन अब वहां पर सरकार बन चुकी है। ऐसे में जम्मू कश्मीर में मनोज सिन्हा को मज़ा नही आ रहा है। खबरों के अनुसार तो 27 के चुनाव से पहले मनोज सिन्हा अब यूपी आने को बेकरार है। और अगर उनका आगमन उत्तर प्रदेश में हो गया तोफिर से त्रिकोण सिद्धान्त का व्योम बनता हुआ दिखाई दे सकता है।
धर्मेंद्र प्रधान का नाम काफी समय से अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में है। उनके पास आरएसएस से जुड़ाव, संगठकीय दक्षता तथा चुनावी रणनीति में पारंगता जैसी तमाम खूबियाँ हैं। वो वर्तमान में संबलपुर (ओडिशा) से सांसद हैं और भाजपा की चुनावी तैयारियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
8वें वेतन आयोग को लेकर क्या है नया अपडेट, लाखों केन्द्रीय कर्मचारियों को लग सकता है झटका?
राजस्थान से सांसद भूपेंद्र यादव भी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए एक मजबूत विकल्प माने जा रहे हैं। वे पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे हैं और संगठनात्मक कार्यों में विशेष दक्षता रखते हैं। संघ से उनके जुड़ाव और रणनीतिक क्षमताओं की वजह से पार्टी के अंदर उनका भी नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।