पीएम नरेंद्र मोदी, फोटो - सोशल मीडिया
नई दिल्ली : केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए बड़ी खबर है। केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया। इस आयोग का उद्देश्य करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन ढांचे को फिर से तय करना है।
हालांकि, अब तक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। यही वजह है कि अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या यह आयोग 1 जनवरी 2026 से समय पर लागू हो पाएगा?
सरकार ने जनवरी में आयोग की मंजूरी देने के बाद विभिन्न विभागों और संबंधित अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया था। इसका मकसद था आयोग के Terms of Reference (ToR) यानी संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप देना और संचालन की रूपरेखा तय करना।
पिछले महीने एक सरकारी सर्कुलर में करीब 35 पदों को प्रतिनियुक्ति पर भरने की जानकारी दी गई थी, जिसके लिए योग्य अधिकारियों से आवेदन भी मांगे गए। इसके बाद मीडिया में आयोग की तैयारियों और संभावित सदस्यों के नामों को लेकर कई अटकलें लगाई गईं, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है।
अब जब मई का महीना समाप्त हो गया है, तो 1 जनवरी 2026 की डेडलाइन में केवल 7 महीने का वक्त बचा है। पिछले अनुभवों पर नजर डालें तो किसी भी वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में 12 से 18 महीने का समय लग चुका है। इस लिहाज से यह कहना मुश्किल है कि 8वां वेतन आयोग तय समय पर लागू हो पाएगा। लेकिन अगर देरी होती है तो क्या इससे सरकारी कर्मचारियों को नुकसान होगा?
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अगर आयोग 1 जनवरी 2026 तक लागू नहीं हो पाता, तो भी उस तारीख या उसके बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों को पूरा लाभ मिलेगा। उन्हें एरियर के रूप में संशोधित वेतन और पेंशन का भुगतान किया जाएगा। ऐसा पहले भी हुआ है। 7वें वेतन आयोग के समय भी लगभग एक साल की देरी हुई थी, लेकिन सभी कर्मचारियों और पेंशनरों को बकाया दिया गया था। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।