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नई दिल्ली: भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कब मिलेगा? इसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। हाल ही में सामने आई जानकारी में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बेंगलुरु बैठक से पहले जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी की घोषणा हो सकती है। भाजपा के संगठनात्मक चुनावों में हो रही देरी के कारण अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा में और देरी होने की संभावना है।
इस देरी की वजह यह है कि भाजपा चार बड़े राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे नहीं कर पाई है। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश शामिल हैं। चार बड़े राज्यों में संगठनात्मक चुनावों में देरी, जिला अध्यक्षों की सूची अटकने से राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर संकट खड़ा हो गया है। वहीं, दो नई एंट्रीज ने अध्यक्ष पद की रेस को रोचक बना दिया है।
भाजपा के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव होगा जब आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव हो जाएं। इतना ही नहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जरूरी निर्वाचक मंडल का गठन भी हो जाता है। इसका गठन तभी होता है जब आधे राज्यों में चुनाव संपन्न हो जाएं। भाजपा अब तक 13 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव संपन्न करा चुकी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए 18 राज्यों में चुनाव जरूरी हैं।
इसके लिए हर राज्य का कोटा होता है। इसमें सबसे बड़ी भागीदारी यूपी की है। निर्वाचक मंडल में यूपी का कोटा 75 सदस्यों का है। यूपी में अभी जिला अध्यक्षों की सूची जारी नहीं हुई है। अब देखना यह है कि अगले कुछ दिनों में संगठन पर्व से जुड़े काम में तेजी आती है या नहीं।
लोकसभा चुनाव में जब जेपी नड्डा ने कहा था कि संघ की जरूरत नहीं है तो इस पर काफी विवाद हुआ था। संघ नहीं चाहता कि अब ऐसी स्थिति दोबारा आए। भाजपा की संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया से जुड़े नेताओं का कहना है कि 20 मार्च की कोई डेडलाइन नहीं थी, संभव है कि भाजपा के स्थापना दिवस यानी छह अप्रैल तक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा हो जाए।
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भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उत्तर से दक्षिण तक करीब एक दर्जन नेताओं के नाम सुर्खियों में हैं। बीच-बीच में ऐसी खबरें सामने आई हैं कि भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान सबसे मजबूत दावेदार हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में संघ की तरफ से जो बातें सामने आई हैं। उनमें कहा गया है कि संघ ऐसे व्यक्ति को भाजपा अध्यक्ष बनाना चाहता है जो आरएसएस से जुड़ा हो।
नए भाजपा अध्यक्ष के लिए हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल और संगठन महासचिव बीएल संतोष का नाम भी सामने आया है। ये दोनों ही संघ से भाजपा में आए हैं। दोनों नेता पीएम मोदी की गुड बुक में भी हैं। खट्टर की एंट्री के साथ बीएल संतोष का नाम चर्चा में आने से कई अन्य दावेदारों के समीकरण बिगड़ गए हैं। फिलहाल अब देखना यह है कि कौन बाजी मारेगा और 6 अप्रैल को भाजपा की स्थापना के 45 साल पूरे होने तक राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा हो जाएगी या नहीं?