कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के भीतर एक बार फिर मतभेद खुलकर सामने आये (फोटो- सोशल मीडिया)
बेंगलूरु: कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के भीतर एक बार फिर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच अब लोक निर्माण विभाग के पांच इंजीनियरों के तबादले को लेकर टकराव गहराता दिख रहा है। दावा है कि इन तबादलों का आदेश मुख्यमंत्री के अधीन आने वाले कार्मिक विभाग से जारी हुआ, जबकि संबंधित इंजीनियर डिप्टी सीएम के मंत्रालय के अधीन थे। बिना जानकारी के किए गए इस फैसले पर उपमुख्यमंत्री ने सीधा एतराज जताया है और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आदेश रद्द करने को कहा है। इससे सरकार के भीतर खींचतान और तेज होती दिख रही है।
इस पूरे मामले ने तूल तब पकड़ा जब डिप्टी सीएम ने सरकार बनने के समय हुए आपसी समझौते की याद दिलाई, जिसमें यह तय किया गया था कि उनके विभाग से जुड़ी नियुक्तियों या तबादलों पर उनकी सहमति आवश्यक होगी। उन्होंने अपने पत्र में इसे साफ तौर पर उल्लंघन बताया। वहीं, अब तक मुख्यमंत्री की ओर से इस आपत्ति का कोई जवाब नहीं आया है, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि आने वाले समय में यह विवाद और गहरा सकता है।
तबादलों से बढ़ी तकरार
मामला तब शुरू हुआ जब जल संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पांच इंजीनियरों का तबादला कर दिया गया। यह विभाग उपमुख्यमंत्री के जिम्मे है, जबकि तबादले का आदेश मुख्यमंत्री के अधीन कार्मिक विभाग ने जारी किया। उपमुख्यमंत्री का कहना है कि उन्हें इसकी कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई, जिससे उनकी स्वायत्तता की अनदेखी हुई है। इस मुद्दे पर उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अधिसूचना रद्द करने की मांग की है।
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सरकार बनने के समय हुआ था आपसी समझौता
डिप्टी सीएम ने पत्र में स्पष्ट किया कि कांग्रेस सरकार के गठन के समय दोनों शीर्ष नेताओं के बीच यह समझौता हुआ था कि उनके विभाग से संबंधित किसी भी प्रकार की नियुक्ति या तबादला उनकी स्वीकृति के बिना नहीं होगा। इस घटनाक्रम को उसी समझौते के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक तबादले में जिन अधिकारियों को हटाया गया है, उनमें एक अधिकारी इसी महीने सेवानिवृत्त होने वाले थे।