इंदिरा गांधी पुण्यतिथि विशेष (फाइल फोटो)
Indira Gandhi Death Anniversary: 31 अक्टूबर की तारीख भारतीय इतिहास में एक गहरे निशान की तरह है। आज देश अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद कर रहा है। उन्हें ‘आयरन लेडी’ भी कहा जाता था। 31 अक्टूबर 1984 को उनकी हत्या उनकी सुरक्षा में तैनात कर्मियों के द्वारा ही कर दी गई थी। उस दिन सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर उन पर लगभग 33 गोलियां बरसाई गईं और दोपहर 2 बजकर 23 मिनट पर उनके निधन की घोषणा हुई। इस बीच के कुछ घंटे बेहद तनावपूर्ण थे।
1984 की उस सुबह इंदिरा गांधी अपने 1 सफदरजंग रोड स्थित आवास पर व्यस्त दिन के लिए तैयार थीं। उन्हें फिल्म निर्माता पीटर उस्तीनोव को इंटरव्यू देना था। सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर जब वह इंटरव्यू के लिए घर से निकलीं, तभी गेट पर तैनात सब-इंस्पेक्टर बेअंत सिंह और कॉन्स्टेबल सतवंत सिंह ने उन पर गोलियां चला दीं। बेअंत ने रिवॉल्वर से और सतवंत ने स्टेनगन से गोलियां दागीं।
इंदिरा गांधी को तुरंत कार से एम्स ले जाया गया। उनका शरीर खून से लथपथ था। एम्स की तत्कालीन निदेशक डॉ. स्नेह भार्गव ने बाद में बीबीसी को बताया कि इंदिरा को एक ट्रॉली पर लाया गया था, जिस पर सीट भी नहीं थी। उनके साथ उनके प्राइवेट सेक्रेट्ररी आरके धवन थे। डॉ. भार्गव के अनुसार, दो सीनियर सर्जनों ने जांच की और कहा कि पल्स नहीं चल रहा, लेकिन वे कोशिश करेंगे। धवन ने ही डॉ. भार्गव को बताया था कि दो सिखों ने गोली मारी है। उस वक्त राजीव गांधी भी दिल्ली में नहीं थे, वे चुनाव प्रचार के लिए असम गए थे।
डॉक्टरों ने इंदिरा गांधी को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन दोपहर 2 बजकर 23 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके शरीर पर 30 गोली के निशान थे और शरीर से 31 गोलियां निकाली गईं। इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। वह 1966 में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया, 1971 के युद्ध में भारत को जीत दिलाई जिससे बांग्लादेश का जन्म हुआ, और 1974 में पोखरण परमाणु परीक्षण किया। बैंकों का राष्ट्रीयकरण और हरित क्रांति भी उनकी प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं। 1975 में लगाया गया आपातकाल उनके जीवन का सबसे विवादित निर्णय रहा।
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हत्या से ठीक एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी ने भुवनेश्वर में अपने भाषण में कहा था कि ‘मैं जिंदा रहूं या न रहूं लेकिन मेरे खून की हर बूंद एक नए भारत को मजबूती देगी।’ अगले ही दिन बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने इंदिरा गांधी को गोलियों से छलनी कर दिया। इंदिरा गांधी की आत्मा तो पंक्षी की तरह उड़ गई लेकिन इंदिरा गांधी ने राजनीति पर जो छाप छोड़ी वो आज भी अमर है। कहते हैं कि शरीर तो मरता है लेकिन आत्मा अमर हो जाती है।