अमेरिका से भारत पहुंचे प्रवासी, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत डेस्क: अमेरिका के टेक्सास स्थित सैन एंटोनियो से 4 फरवरी की सुबह करीब 3 बजे एक मिलिट्री एयरक्राफ्ट C-17 ने उड़ान भरी। इस विमान में 104 भारतीय नागरिक सवार थे, जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे। यह सभी भारतीय आज दोपहर में अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंच गए हैं।
विमान की लैंडिंग के दौरान अमृतसर के पुलिस कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एयरपोर्ट पर मौजूद रहे। वहीं, एयरपोर्ट स्थित एविएशन क्लब में सभी डिपोर्ट किए गए भारतीयों के बैकग्राउंड की जांच की गई। इन नागरिकों में पंजाब, गुजरात और हरियाणा के सबसे अधिक लोग शामिल हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर निकालने की मुहिम तेज कर दी है। अब सवाल यह उठता है कि इसके पीछे क्या कारण हैं, आइए जानते हैं आखिर क्या है पूरा मामला
अमेरिका ने 4 फरवरी को भारतीय समयानुसार सुबह 3 बजे 104 भारतीय अवैध अप्रवासियों को स्वदेश भेजने के लिए एक सैन्य विमान का उपयोग किया। यह पहली बार है जब अमेरिका ने इस उद्देश्य के लिए मिलिट्री एयरक्राफ्ट तैनात किया है। 5 फरवरी को दोपहर 2 बजे, अमेरिकी वायु सेना का सी-17 विमान इन अप्रवासियों को लेकर अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इस यात्रा को पूरा करने में लगभग 35 घंटे लगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अवैध अप्रवासियों को “एलियन” और “अपराधी” करार देते हुए उन्हें अमेरिका पर हमला करने वाला बताया। इसी सोच के तहत, ट्रम्प प्रशासन ने अवैध अप्रवासियों को चार्टर्ड फ्लाइट की बजाय सैन्य विमानों से निर्वासित किया। इस दौरान, इन लोगों के हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां लगी हुई थीं। इतना ही नहीं, जिस विमान से इन्हें भेजा गया, उसमें 104 यात्रियों के लिए केवल एक ही टॉयलेट मौजूद था।
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आपको बता दें कि कुल 205 भारतीय नागरिकों को देश से निष्कासित करने के लिए चिन्हित किया है। इसी दौरान 186 भारतीयों की डिपोर्टेशन सूची भी सामने आई है। हालांकि, शेष लोगों का स्थान और उनकी डिपोर्ट प्रक्रिया कब पूरी होगी, इस पर अब तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी है।
अमृतसर एयरपोर्ट पर लाए गए 104 लोगों में गुजरात के 33, पंजाब के 30, हरियाणा के 33, उत्तर प्रदेश के 3, महाराष्ट्र के 3 और चंडीगढ़ के 2 नागरिक शामिल हैं। निर्वासित किए जाने वालों में 12 बच्चे जो 18 साल से कम उम्र के हैं और लगभग 24 महिलाएं भी शामिल हैं। सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के यात्रियों को सड़क मार्ग से उनके घर तक भेजा जाएगा, जबकि गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के लोगों की आगे की यात्रा हवाई मार्ग से कराई जा सकती है।
ट्रम्प ने चुनाव अमेरिकी चुनाव प्रचार के दौरान अवैध अप्रवासियों को देश से बाहर निकालने का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि यह अमेरिका के इतिहास की सबसे बड़ी निर्वासन प्रक्रिया होगी। ट्रम्प का मानना है कि अन्य देशों से अवैध रूप से आने वाले लोग अपराधों में संलिप्त होते हैं और देश में नौकरियों पर कब्जा जमाते हैं, जिससे अमेरिकी नागरिकों के रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं।
20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करते हुए ‘लैकेन रिले एक्ट’ पर हस्ताक्षर किए। इस नए कानून के तहत फेडरल अधिकारियों को उन अवैध अप्रवासियों को हिरासत में लेकर देश से बाहर भेजने का अधिकार मिल गया है, जो आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।
इस कानून के लागू होने के बाद, इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) ने 15 लाख अवैध अप्रवासियों की एक सूची तैयार की, जिसमें 18,000 भारतीय भी शामिल हैं। ट्रम्प ने इस फैसले को सख्त कदम बताते हुए कहा, “हम खतरनाक अपराधियों को देश से बाहर कर रहे हैं। ये हत्यारे और अपराधी हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। सबसे पहले हम इन्हीं को निकालेंगे।”
एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में दुनिया के सबसे अधिक अप्रवासी रहते हैं। वैश्विक स्तर पर कुल अप्रवासियों का 20% अमेरिका में बसता है। 2022 तक अमेरिका में रहने वाले अप्रवासियों की कुल संख्या लगभग 1.1 करोड़ थी।