सेना की हवाई पट्टी (File Photo)
चंडीगढ़: पंजाब के फिरोजपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जो फिल्मों को भी पीछे छोड़ गया। दरअसल यहां एक मां-बेटे की जोड़ी ने ऐसी जालसाजी कर डाली, जिसे सुनकर ही लोगों को माथा चकरा जाएगा। कमाल ये है कि, इन्होंने किसी की दुकान, खेत, या फिर इमारत को नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना की ऐतिहासिक हवाई पट्टी ही बेच डाली। जहां से हमारे जांबाज फाइटर पायलट तीन-तीन युद्ध (1962, 1965 तथा 1971) में दुश्मनों को हरा चुके थे।
28 साल पहले हुए इस मां-बेटे की ठगी के कारनामे का पर्दाफाश अब जाकर हाईकोर्ट के निर्देश तथा विजिलेंस जांच के बाद हुआ है। मां-बेटे के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
दरअसल इस पूरे मामले का खुलासा निशान सिंह नामक एक सेवानिवृत्त कनूंगो की शिकायत से हुआ, जिन्होंने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के निदेशक को एक पत्र लिखकर इस मामले में जांच की मांग की। उन्होंने बताया कि किस तरीके से दुमनी वाला गांव की उषा अंसल तथा उनके बेटे नवीन चंद अंसल ने रेवेन्यू ऑफिसर्स की मिलीभगत से सेना की जमीन पर झूठा मालिकाना हक साबित करके उसे बेच डाला।
इस मामले में शिकायत मिलने के बाद जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो निशान सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के मुख्य निदेशक को खुद इस मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।
जांच में सामने आया कि ये हवाई पट्टी फत्तूवाला गांव, जो पाकिस्तान सीमा के पास है, वहां पर स्थित है। इस जमीन को 12 मार्च 1945 को ब्रिटिश शासन ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रॉयल एयर फोर्स के लिए अधिग्रहित किया था। बाद में ये जमीन भारतीय वायुसेना के अधीन हो गई और तीन युद्धों में इसका उपयोग लैंडिंग ग्राउंड के तौर पर किया गया।
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जब मामले की जांच की गई तो ये भी स्पष्ट हुआ कि उषा अंसल तथा नवीन चंद अंसल ने कुछ निचले स्तर के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके जमाबंदी में हेरफेर करवाया और खुद को इस जमीन का मालिक दिखा दिया। इसके बाद 1997 में इस जमीन को दूसरों को बेच भी दिया। हैरानी की बात ये है कि असली मालिक मदन मोहन लाल की मौत तो 1991 में ही हो गई थी, फिर भी 1997 में बोगस बिक्री के कागजात बनाए गए।