जम्मू कश्मीर विधानसभा (कांसेप्ट फोटो- सौ. से सोशल मीडिया)
नई दिल्ली : करीब एक दशक में पहली बार जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव हुए। चुनाव काफी हद तक शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। चुनावों के बाद संसद की सरकार और राष्ट्रीय परिषद से मिलकर एक गठबंधन का गठन किया गया। उमर अब्दुल्ला ने संघीय क्षेत्र के प्रभारी रहते हुए मुख्मंयत्री के रूप में शपथ ली।
बता दें कि कांग्रेस और नेशनल असेंबली में कहा गया कि सब कुछ ठीक है । लेकिन शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा ने अपना मन बदल लिया। क्योंकि प्रतिनिधि सभा में विपक्षी दलों की जगह कांग्रेसियों ने बोलना शुरू कर दिया। इसके बाद कांग्रेस में तीखी बहस शुरू हो गई। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच बहस होती दिखी।
ये भी पढें : हेल्दी और फिट रहने के लिए जरूरी होती है वॉकिंग, जरूर काम आएगा आपके 6-6-6 वॉकिंग रूल का फॉर्मूला
दरअसल कांग्रेस विधायक और संसद में पार्टी नेता निजामुद्दीन भट ने एक खास मुद्दे पर अपनी राय रखी। जैसे ही उन्होंने प्रतिनिधि सभा में अपने विचार रखे। मुख्ममंत्री उमर अब्दुल्ला के गठबंधन और नेशनल कॉन्फ्रेंस के शासकों ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया। इससे निजामुद्दीन समेत अन्य कांग्रेस सदस्यों के भी तेवर और गरम हो गये। थोड़ी ही देर में दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक होने लगी। पता चला कि प्रतिनिधि सभा में दो विपक्षी नेता आपस में भिड़ गए है।
इससे पहले गुरुवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्यों के बीच हिंसक झड़प हो गई। सत्ताधारी विधायक और विपक्षी बीजेपी ने एक-दूसरे का सीना पकड़ लिया और धक्का-मुक्की करने लगे। संसदीय सत्र निलंबित कर दिए गए पहले 20 मिनट के लिए और फिर पूरे दिन के लिए। लेंगेटे विधायक खुर्शीद अहमद शेख ने संसद में अनुच्छेद 370 को हटाने का झंडा फहराया। बैनर पर लिखा था- हम अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए की बहाली चाहते हैं और सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं। लेकिन बीजेपी सांसद और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इसे खारिज कर दिया। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे। बता दें कि देखते ही देखते माहौल गरमा गया।
ये भी पढें : IND vs SA: संजू सैमसन का डबल धमाका, ऐसा करने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बने