मोरारजी देसाई ने दिया था इस्तीफा
नई दिल्ली: आर्थिक बजट (Budget 2024) को लेकर देश का इतिहास काफी पुराना और रोचक है। देश में बैंकों के लिए 19 जुलाई 1969 का दिन ऐतिहासिक रहा है।क्योकि यही वो महत्वपूर्ण तारीख है जिस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण (Nationalization of 14 Banks) कर दिया था, यानी 14 प्राइवेट बैंकों को सरकारी बैन बनाया था।
इसी समय देश में और एक बड़ी घटना हुई और वो थी कि तत्कालीन वित्त मंत्री ने मोरारजी देसाई (Morarji Desai) ने अपने पद से इस्तीफा दिया। आइए जानते है आखिर ऐसा क्या मजूबरी थी कि देश के सबसे चर्चित मंत्रियों में गिने जाने वाले मोरारजी देसाई ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया…
जानकारी के लिए आपको बता दें कि साल 1969 में ये बैंक देश के बड़े औद्योगिक घराने चला रहे थे। इन बैंकों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक, यूको बैंक, केनरा बैंक, यूनाइटेड बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक तथा बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल थे।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इस फैसले से देश में हलचल मच गई। इस फैसले से और भी कई चीजें प्रभावित हुई, उन्ही में से एक था तत्कालीन वित्त मंत्री मोरारजी देसाई का इस्तीफा देना, जो उस वक्त देश में काफी चर्चा में रहने वाला मुद्दा बना।
मोरारजी देसाई
दरअसल हुआ यह था कि निजी बैंकों के राष्ट्रीयकरण करने की प्रधानमंत्री की योजना से देसाई बेहद नाराज थे। नाराजगी प्रकट करते हुए घोषणा के एक सप्ताह बाद अचानक उन्होंने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। बजट से जुड़े कई रोचक बातें है, उन्ही में से एक है देश के ऐसे वित्त मंत्रीं जिन्होंने सबसे ज्यादा बजट पेश किया है।
आपको बता दें कि आजाद भारत में सबसे अधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम दर्ज है। जी हां आपको जानकर हैरानी होगी कि मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के रूप में एक दो नहीं बल्कि दस बार देश का बजट पेश किया है। इसमें आठ आम बजट और दो अंतरिम बजट शामिल हैं।