एयरसेल मामले में अपडेट
नई दिल्ली। बहुचर्चित एयरसेल-मैक्सिस मामले से जुड़ी बड़ी अपडेट सामने आ रही है जहां पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के खिलाफ दर्ज शिकायत पर एक्शन लिया है। जहां पर दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी। इसे लेकर ईडी को भी नोटिस भेजकर अवगत कराया है।
धन शोधन मामले में एजेंसी द्वारा उनके और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाता है। अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही स्थगित रहेगी। मामले की सुनवाई 22 जनवरी को होगी।” उन्होंने कहा कि वह बाद में विस्तृत आदेश पारित करेंगे।
चिदंबरम का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और वकीलों अर्शदीप सिंह खुराना एवं अक्षत गुप्ता ने दलील दी कि विशेष न्यायाधीश ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अभियोजन के लिए किसी मंजूरी के अभाव में धन शोधन के कथित अपराध के लिए आरोपपत्र पर संज्ञान लिया, जो कथित अपराध के समय एक लोक सेवक थे। ईडी के वकील ने याचिका की स्वीकार्यता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई और कहा कि इस मामले में अभियोजन के लिए मंजूरी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आरोप चिदंबरम के कार्यों से संबंधित हैं, जिनका उनके आधिकारिक कर्तव्यों से कोई लेना-देना नहीं है। अंतरिम राहत के रूप में चिदंबरम ने निचली अदालत में जारी कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
ये भी पढे़ें-झारखंड चुनाव में तगड़ी वोटिंग, दोपहर 1 बजे तक 47.92% मतदान, गोड्डा में अच्छा प्रतिसाद
निचली अदालत ने 27 नवंबर, 2021 को एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम और कार्ति के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी द्वारा दायर आरोपपत्रों पर संज्ञान लिया और उन्हें बाद के दिनों में तलब किया था। चिदंबरम के वकील ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 (1) के तहत अभियोजन के लिए मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य है और ईडी ने कांग्रेस नेता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आज तक मंजूरी नहीं ली है। वकील ने कहा कि वर्तमान में आरोपों पर विचार के लिए निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही तय है।
सीआरपीसी की धारा 197 (1) के अनुसार, जब कोई व्यक्ति जो न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट या लोक सेवक है या था, जिसे सरकार की मंजूरी के बिना उसके पद से हटाया नहीं जा सकता, उस पर किसी ऐसे अपराध का आरोप लगाया जाता है जो उसके द्वारा अपने आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन में कार्य करते समय या कार्य करने की परिकल्पना करते समय किया गया है, तो कोई भी अदालत पूर्व मंजूरी के बिना ऐसे अपराध का संज्ञान नहीं लेगी।
आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार एवं धन शोधन के मामलों में चिदंबरम तथा अन्य आरोपियों को तलब करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। ये मामले एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित हैं। यह मंजूरी 2006 में दी गई थी, जब चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे। सीबीआई और ईडी ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री के तौर पर चिदंबरम ने अपनी क्षमता से परे जाकर समझौते को मंजूरी दी, जिससे कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचा और रिश्वत मिली।