टीएमसी सांसद सागरिका घोष व डेरेक ओ ब्रायन (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन, सागरिका घोष और साकेत गोखले समेत 10 नेताओं को एक मामले में बड़ी राहत दी है। अदालत ने पिछले साल अप्रैल में निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद निर्वाचन आयोग के कार्यालय के सामने प्रदर्शन करने के मामले में इन नेताओं को मंगलवार को जमानत दे दी।
जज ने जमानत देते हुए कहा कि आरोपपत्र आरोपियों की गिरफ्तारी के बिना ही दाखिल किया गया था। कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 21 मई करेगी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने तृणमूल नेताओं शांतनु सेन, डोला सेन, नदीमुल हक, विवेक गुप्ता, अर्पिता घोष, अबीर रंजन विश्वास और सुदीप राहा की जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
तृणमूल के 9 नेता अदालत के सामने खुद उपस्थित हुए। विवेक गुप्ता वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुए। अदालत ने उन 5 नेताओं को 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी। ये सभी वर्तमान सांसद हैं। बाकी नेताओं को 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर राहत दी गई।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, मामले में आरोपी तृणमूल नेता पिछले साल 8 अप्रैल को निर्वाचन आयोग के मेन गेट के बाहर इकट्ठा हुए और उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू होने के बावजूद एवं अनुमति लिए बिना तख्तियां और बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
पुलिस ने आरोप लगाया कि निषेधाज्ञा के बारे में सूचित किए जाने के बावजूद नेताओं ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई। पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों से पहले तृणमूल नेताओं ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग (IT) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ प्रदर्शन किया था और उनके प्रमुखों को बदलने की मांग की थी।
तृणमूल के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांग को लेकर निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात के बाद विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच एजेंसियां भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)