कांग्रेस नेता शशि थरूर (फोटो- सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम हो गया। हालांकि युद्धविराम के बाद ही पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आया और उसने भारत के कई इलाकों पर गोलीबारी की। इसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। संघर्षविराम को लेकर देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग बयान दे रही हैं, कोई इसे सही बता रहा है तो कई गलत। इसी बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी संघर्षविराम को लेकर बयान दिया है जो चर्चा का विषय का बना हुआ है।
शशि थरूर ने सीजफायर को लेकर कहा कि शांति जरूरी है। मैं सीजफायर से बहुत खुश हूं। भारत कभी भी लंबे समय तक युद्ध नहीं चाहता था, लेकिन भारत आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहता था। मेरा मानना है कि सबक सिखाया जा चुका है। थरूर ने पाकिस्तान की तरफ से हुए सीजफायर के उल्लंघन पर एक्स पर लिखा कि उसकी फितरत है मुकर जाने की, उसके वादे पे यकीन कैसे करूं?
उसकी फितरत है मुकर जाने की
उसके वादे पे यकीं कैसे करूँ? #ceasefireviolated— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) May 10, 2025
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के ऐलान के बाद से ही 1971 युद्ध और इंदिरा गांधी को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें और दावे किए जा रहे हैं। इसे लेकर थरूर ने कहा, ‘हम उस स्थिति में पहुंच गए थे, जहां तनाव बेवजह नियंत्रण से बाहर हो रहा था। हमारे लिए शांति जरूरी है। सच तो यह है कि 1971 की परिस्थितियां 2025 की परिस्थितियां नहीं हैं। यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे। हम बस आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहते थे और वह सबक सिखाया जा चुका है। मुझे यकीन है कि सरकार पहलगाम हमलों में शामिल आतंकियों को कड़ी से कड़ी सजा देगी और जल्द ही उनकी पहचान की जाएगी।’
#WATCH | Delhi | On the understanding reached between Indian and Pakistan, Congress MP Shashi Tharoor says, “We had reached a stage where the escalation was needlessly getting out of control. Peace is necessary for us. The truth is that the circumstances of 1971 are not the… pic.twitter.com/dowttNX1wj
— ANI (@ANI) May 11, 2025
थरूर ने कहा, ‘देश के मौजूदा हालातों की तुलना साल 1971 से की जा रही है। वो भी एक महान उपलब्धि थी, इंदिरा गांधी ने उस समय एक नया नक्शा फिर से लिखा, लेकिन वे परिस्थितियां अलग थीं। बांग्लादेश एक नैतिक कारण से लड़ रहा था और बांग्लादेश को आजाद कराने के पीछे का एक अलग मकसद था। पाकिस्तान पर सिर्फ गोले दागते रहना उद्देश्य नहीं है। उस समय जो भी फैसले लिए गए वो उन हालातों को देखकर लिए गए थे। आज जो देश के हालात हैं उनमें शांति बहुत जरूरी है।’