मणिपुर विधानसभा (फोटो-सोशल मीडिया)
इंफालः मणिपुर में हिंसा को खत्म करने का प्रयास लगातार जारी है। वहीं दूसरी तरफ राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन को खत्म करने और नई सरकार बनाने की कोशिशें जारी हैं। इसके लिए भाजपा सहित कई अन्य दलों के विधायक अमित शाह से गुहार भी लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार के गठन का कोई फैसला नहीं हो पाया है। इस बीच कांग्रेस पार्टी ने राज्य में विधानसभा चुनाव कराने की मांग कर रही है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि बहुमत होने के बाद भी भाजपा सरकार बनाने में विफल रही।
मणिपुर के कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोइजम ने बुधवार को कहा कि यदि भाजपा बहुमत होने के बावजूद सरकार बनाने में विफल रहती है तो राष्ट्रपति शासन वाले इस हिंसा प्रभावित राज्य में नये सिरे से चुनाव कराए जाने चाहिए।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने की फिराक में भजापा
भाजपा नेता एन. बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के चार दिन बाद 13 फरवरी को विधानसभा निलंबित कर दी गई और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। मणिपुर विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक है। अकोइजम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर आप (भाजपा) जनादेश मिलने के बावजूद लोकप्रिय सरकार नहीं बना सकते और केंद्र को राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ानी ही है, तो विधानसभा भंग कर नये सिरे से चुनाव करवाए जाएं।” केंद्र सरकार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के लिए संसद की मंजूरी लेने और 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र के दौरान राज्य की अनुदान मांगों को सदन की मंजूरी के लिए पटल पर रखने की तैयारी में है।
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राष्ट्रपति शासन के लिए संसद की मंजूरी जरूरी
संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति शासन लागू रखने के लिए हर छह महीने में संसद की मंजूरी जरूरी होती है। अकोइजम ने यह भी कहा कि वह आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों, बफर जोन के अस्तित्व और राज्य में कथित कुशासन के मुद्दों को संसद के आगामी सत्र में उठाएंगे। उन्होंने दावा किया कि दो साल बाद भी, विस्थापित लोग जिन हालात में रह रहे हैं, वे ‘‘भयावह” हैं और उनके बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है। अकोइजम ने मुख्य सचिव पी के सिंह की उस हालिया घोषणा पर भी आपत्ति जताई कि दिसंबर तक तीन चरणों में राहत शिविर बंद कर दिए जाएंगे। मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच संघर्ष में 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।
-एजेंसी इनपुट के साथ