पीएम मोदी, राहुल गांधी (Image- Social Media)
VB-G RAM G Bill: ‘जी राम जी’ को लेकर कांग्रेस ने अपना रुख साफ करते हुए मोदी सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का फैसला कर लिया है। कांग्रेस के एक सांसद, जो एक संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं, ने 29 दिसंबर को बैठक बुलाई है। इस बैठक में ‘VB G RAM G’ बिल पर चर्चा की जाएगी और इसकी तुलना यूपीए सरकार के समय की मनरेगा योजना से की जाएगी। इस कदम को नए प्रस्तावित कानून को लेकर सियासी टकराव के और तेज होने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है, जिस पर सत्ताधारी एनडीए के सदस्यों ने आपत्ति जताई है।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज से जुड़ी स्थायी समिति के एजेंडे में ग्रामीण विकास मंत्रालय से ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन–ग्रामीण (VB G RAM G) बिल’ पर जानकारी लेना शामिल है। साथ ही, इसकी तुलना मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से भी की जाएगी। इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उल्का कर रहे हैं।
यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह बिल संसद से पारित हो चुका है और फिलहाल राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही यह गजट अधिसूचना के जरिए कानून बनेगा। समिति के बीजेपी सांसदों को इस बात पर आपत्ति है कि संसद से हाल ही में पास हुए बिल पर समिति में चर्चा क्यों की जा रही है, जबकि यह अभी कानून के रूप में अधिसूचित नहीं हुआ है। समिति के सदस्य और बीजेपी सांसद विवेक ठाकुर ने इसे “बिना सोचे-समझे लिया गया फैसला” बताया और कहा कि यह बिल अभी तक कानून नहीं बना है।
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के सदस्य इस मुद्दे को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के सामने उठाने की तैयारी कर रहे हैं। लोकसभा की समितियों पर स्पीकर के पास विशेष अधिकार होते हैं। एक अन्य बीजेपी सदस्य ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि समिति ऐसे बिल पर चर्चा नहीं कर सकती, जिस पर संसद पहले ही बहस कर उसे पारित कर चुकी है। उनके मुताबिक, समिति की भूमिका केवल कानून के क्रियान्वयन की समीक्षा और सुझाव देने तक सीमित होती है।
बीजेपी सदस्यों का कहना है कि इस बिल की तुलना यूपीए काल की योजना से करना जानबूझकर राजनीतिक माहौल बनाने की कोशिश है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस नए कानून की लगातार आलोचना कर रहे हैं। यह कानून उस व्यवस्था की जगह लेगा, जिसके तहत महात्मा गांधी के नाम पर ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना चलाई जाती थी। अब योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना भी विवाद का बड़ा मुद्दा बन गया है।
कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उल्का ने लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान मांग की थी कि इसे उनकी समिति को जांच के लिए भेजा जाए। यह मांग विपक्षी दलों की ओर से उठाई गई थी, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था। अब उल्का ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर फिर से यही मांग दोहराई है। यह पहला मौका नहीं है जब समिति के एजेंडे को लेकर बीजेपी सदस्यों ने आपत्ति जताई हो। आमतौर पर एजेंडा तय करना अध्यक्ष का विशेषाधिकार माना जाता है।
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर मनरेगा को खत्म करने और ‘VB-G RAM G’ नाम का “काला कानून” लाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वह 20 साल पहले भी इस कानून के लिए लड़ी थीं और आज भी लड़ने को तैयार हैं। यह बयान राहुल गांधी के उस बयान के एक दिन बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सरकार को यह नया कानून वापस लेने पर मजबूर करेगी।
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सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने पिछले 11 वर्षों से ग्रामीण गरीबों के हितों की अनदेखी की है और करोड़ों किसानों, मजदूरों व भूमिहीन लोगों के अधिकारों पर हमला किया है।