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नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद ‘महामहिम’ की मंजूरी मिल चुकी है। यह अब कानून के रूप में सामने आ चुका है। इस बिल पर लोकसभा और राज्यसभा में जमकर चर्चा हुई। विपक्षी दलों ने खुलकर विरोध किया। कांग्रेस भी पूरी तरह से बिल के विरोध में लामबंद नज़र आई, लेकिन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष यानी राहुल गांधी की चुप्पी ने सवाल कर दिए।
वक्फ बिल पर संसद के दोनों ही सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा में मैराथन चर्चा हुई थी। लेकिन मगर इस चर्चा में कांग्रेस की तरफ से नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हिस्सा ही नहीं लिया। इसके अलावा प्रियंका गांधी तो सदन तक भी नहीं पहुंची। अब इस बिल के कानून बनने के बाद बीजेपी इसे लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमलावर है।
वक्फ कानून का विरोध लगातार जारी है। कांग्रेस पार्टी सदन से लेकर सड़क तक बिल का विरोध करती नजर आई। तमाम विपक्षी दलों ने भी सदन में बिल के खिलाफ अपनी राय रखी। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि राहुल गांधी ने सदन के अंदर बिल पर एक शब्द भी नहीं कहा। बाहर भी कांग्रेस तो विरोध कर रही है, लेकिन राहुल गांधी चुप हैं।
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, “अगर यह असंवैधानिक कानून था, तो राहुल गांधी को संसद में क्लॉज-बाय-क्लॉज कहना चाहिए था कि जो संशोधन किया जा रहा है, वह असंवैधानिक है।
पाल ने कहा कि उन्होंने इस पर कोई सुझाव नहीं दिया, कोई तर्क नहीं दिया, न ही प्रियंका गांधी ने कोई तर्क दिया और न ही सोनिया गांधी ने राज्यसभा में कोई तर्क दिया। आजादी के बाद पहली बार लोकसभा या राज्यसभा में किसी विधेयक पर इतनी लंबी चर्चा हुई, लेकिन उन्होंने चर्चा में हिस्सा नहीं लिया।
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर बोलते हुए जगदंबिका पाल ने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा वक्फ में बड़ा सुधार किया गया है, जिसका लाभ गरीबों, पसमांदा, महिलाओं और अनाथों को मिलेगा। अगर कांग्रेस पार्टी या राहुल गांधी को वाकई देश के मुसलमानों की चिंता है, अगर वे उन्हें वोट बैंक नहीं मानते, तो राहुल गांधी ने ऐसे ऐतिहासिक विधेयक पर चर्चा में हिस्सा क्यों नहीं लिया।
लोकसभा में बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े। अगले दिन बिल को राज्यसभा में पेश किया गया। यहां भी लंबी और सार्थक चर्चा के बाद रात करीब 2:50 बजे बिल को पास कर दिया गया। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े।
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सरकार ने कहा है कि यह वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करने वाला विधेयक है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और दुरुपयोग को रोकने के लिए नियमों को कड़ा करना है।