
CJI बीआर गवई ने जूते फेंकने वाले पर तोड़ी चुप्पी
CJI BR Gavai Retirement: भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई का कार्यकाल आज समाप्त हो गया है। अपनी विदाई से ठीक पहले, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इतिहास की एक बेहद चर्चित और चौंकाने वाली घटना पर अपनी चुप्पी तोड़ी। यह मामला था एक बुजुर्ग वकील द्वारा भरी अदालत में उन पर जूता फेंकने का। रिटायरमेंट के दिन अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि आखिर उस अपमानजनक घटना के बावजूद उन्होंने उस वकील को माफ करने का इतना बड़ा फैसला क्यों लिया था।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जब पत्रकारों ने उनसे उस तीखे वाकये के बारे में सवाल किया, तो जस्टिस गवई बेहद शांत नजर आए। उन्होंने साफ किया कि माफी का वह फैसला किसी दबाव या बाद के विचार का नतीजा नहीं था, बल्कि घटना के तुरंत बाद ही उन्होंने मन बना लिया था। गौरतलब है कि पिछले महीने वकील राकेश किशोर ने एक मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान गुस्से में आकर यह कदम उठाया था और सनातन धर्म के नारे भी लगाए थे।
सीजेआई बी आर गवई ने कहा कि जब यह सब हुआ, तो उन्होंने इसे व्यक्तिगत अपमान के तौर पर दिल पर नहीं लिया। जब उनसे पूछा गया कि इतनी बड़ी गुस्ताखी के बाद भी उन्होंने वकील को माफ क्यों किया, तो उनका सीधा जवाब था कि यह फैसला उसी समय लिया गया था। हालांकि, इस घटना के बाद बार काउंसिल ने सख्त कार्रवाई करते हुए राकेश किशोर का वकालत का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था, लेकिन सीजेआई ने अपनी तरफ से बड़प्पन दिखाते हुए मामले को तूल न देने और माफ करने का निर्णय लिया।
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बातचीत के दौरान उन्होंने सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों पर भी खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे कुछ वायरल एआई क्लिप्स में यह गलत दिखाया गया कि जूता जस्टिस विनोद चंद्रन से चूककर उन्हें लगा। उन्होंने अफसोस जताया कि जो बातें कोर्ट में नहीं कही जातीं, वे भी सोशल मीडिया पर जजों के मुंह में डाल दी जाती हैं। उन्होंने माना कि टेक्नोलॉजी के फायदे हैं, लेकिन इसके नुकसान और फेक न्यूज का प्रसार भी आज के दौर में एक बड़ी चुनौती है।






