प्रमोद सावंत ने गोवा मुक्ति दिवस पर लोगों को बधाई दी (सौजन्य : सोशल मीडिया)
पणजी: वैसे तो भारत 1947 को आज़ाद हुआ लेकिन 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा पर सफलतापूर्वक कब्जा कर 451 वर्षों से चले आ रहे पुर्तगाली शासन को समाप्त कर दिया। और इसी के साथ गोवा सही रूप से आज़ाद हो गया। इस दिन को याद कर गोवावासी हर्षोल्लास के साथ इस साल 63 वां ‘गोवा मुक्ति दिवस’ मना रहे हैं। यह दिन गोवा की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करता है और राष्ट्रीय एकता और सामूहिक प्रयास के महत्व को भी रेखांकित करता है।
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने गुरुवार को राज्य के मुक्ति दिवस पर लोगों को बधाई दी। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता को याद किया और उनके प्रति आभार व्यक्त किया। वर्ष 1961 में पुर्तगालियों से राज्य को मुक्त कराने के लिए सशस्त्र बलों के ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता की याद में हर साल 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस मनाया जाता है।
सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए संदेश में सावंत ने कहा, ‘मुक्ति दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर गोवा के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं। गोवा शक्तिशाली है, और अपनी सांस्कृतिक विरासत से मजबूती से जुड़ा हुआ है।’ उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता को गौरवपूर्ण तरीके से याद करें और उनके प्रति आभार व्यक्त करें।
साल 1498 में सबसे पहले वास्को डी गामा भारत आया। इसके बाद धीरे-धीरे पुर्तगाली आते गए और कुछ ही सालों में गोवा पर पुर्तगालियों ने कब्जा कर लिया। साल 1510 तक एक-एक कर भारत के कई हिस्सों पर पुर्तगालियों का कब्जा हो गया था। हालांकि, 19वीं शताब्दी तक पुर्तगालियों के पास गोवा, दमन, दादर, दीव और नागर हवेली ही बचे। साल 1947 में आज़ादी की लड़ाई कामयाब हुई तो अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। लेकिन उन्होंने देश को दो टुकड़ों में बांट दिया था। फिर भी गोवा को आज़ाद करने से पुर्तगालियों ने मना कर दिया था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के बीच हुई बैठक के बाद गोवा से पुर्तगालियों को खदेड़ने के लिए 17 दिसंबर 1961 को ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की गई। इसके तहत भारतीय वायु सेना, नौसेना और थल सेना के लगभग 30 हजार सैनिकों को गोवा को आज़ाद कराने के लिए तैनात किया गया। पुर्तगालियों ने शुरू में इन सैनिकों का मुकाबला करने का फैसला किया। उन्होंने गोवा में भारतीय सैनिकों के प्रवेश के मुख्य मार्ग पर वास्को के पास बने पुल को धमाके से उड़ा दिया। इसके बावजूद भारतीय सेनाएं थमीं नहीं। वायु सेना ने पुर्तगालियों के ठिकाने पर जोरदार बमबारी की। थल सेना भी आगे बढ़ रही थी। आखिरकार पुर्तगालियों ने अपनी हार मान ली और गोवा मुक्त हो गया।