नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत (डिजाइन फोटो)
BJP New President: दुनिया की सबसे बड़ी सियासी पार्टी यानी बीजेपी लंबे समय से अपना नया नेता तलाश करने में जुटी हुई है। उसकी यह तलाश खत्म नहीं हुई थी कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देकर उसकी चिंताएं दोगुनी कर दी हैं। अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कंधे पर दो-दो उम्मीदवारों को चुनने की जिम्मेदारी आ गई है।
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा में देरी की वजह भाजपा और आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच आम सहमति का न होना माना जा रहा है। हालाँकि, पार्टी ने इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। कहा जा रहा है कि भाजपा राजनीतिक और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए दोनों पदों के लिए उम्मीदवारों की तलाश कर रही है।
‘द टेलीग्राफ इंडिया’ की रिपोर्ट में भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पार्टी अगस्त के अंत तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव करना चाहती है। साथ ही, भाजपा अध्यक्ष का फैसला भी लगभग उसी समय करना चाहती है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर पार्टी उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी सवर्ण नेता को चुनती है, तो अगला भाजपा अध्यक्ष कोई ओबीसी या दलित हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार भाजपा से होगा, लेकिन नाम पर अंतिम सहमति एनडीए दलों से बात करने के बाद बनेगी। वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि संघ और भाजपा के बीच सहमति न बन पाने के कारण भाजपा अध्यक्ष के नाम पर चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि संघ एक ‘मजबूत संगठन नेता’ चाहता है।
अखबार से बात करते हुए, भाजपा के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, ‘उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए होने वाली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले भाजपा अध्यक्ष पर चर्चा कर सकते हैं। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए इसे आरएसएस नेतृत्व के समक्ष उठाया जाएगा।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा ने दो ओबीसी मंत्रियों के नाम आगे रखे हैं, जिनमें शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव शामिल हैं।
सूत्रों ने अखबार को बताया कि संघ किसी भी नाम पर सहमत नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप से चर्चा आगे बढ़ सकती है। एक भाजपा नेता ने बताया, “मोदी जी खुद गतिरोध दूर करने के लिए आरएसएस नेतृत्व से बात कर सकते हैं। अगले उपराष्ट्रपति के नाम पर भी संघ से चर्चा हो सकती है।”
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आपको बता दें कि साल 2022 में द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं। 2022 में ही जगदीप धनखड़ भी उपराष्ट्रपति बने, जिनकी पहचान एक ‘किसान पुत्र’ के तौर में बन रही थी। कहा जा रहा है कि इसका उद्देश्य जाट किसानों के बीच स्थिति को बेहतर बनाना था, जो 2020-21 के दौरान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पर उतर आए थे।