भाजपा सांसद मेनका गांधी (सौजन्य सोशल मीडिया)
BJP Leader Maneka Gandhi: उत्तराखंड के चार धाम यात्रा मार्ग पर चल रहे निर्माण कार्यों को लेकर भाजपा सांसद और एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट मेनका गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। निर्माण कार्यों के नाम पर बड़े पैमान पर चल रहे जंगलों कि कटाई को लेकर भी मेनका गांधी ने दुख व्यक्त किया है। उनका कहना है कि, ‘मुझे लगता है भगवान भी चार धाम से भाग गए हैं।
चार धाम यात्रा मार्ग पर डेवलपमेंट के नाम पर कंक्रीटीकरण किया जा रहा है। इसको लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट मेनका गांधी ने कहा कि, ‘मुझे लगता है भगवान भी भाग गए हैं चार धामों से…पिछले साल हेमकुंड में 700 जानवर गिरे थे। ‘कौन भगवान टिकेगा इसमें?’… जिन जगहों पर घास के मैदान थे, फूल थे और ऐसा लगता था कि हम स्वर्ग पहुंच गए हैं, अब जब हम वहां जाते हैं, तो हमारा दिल टूट जाता है…’
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: Animal rights activist & BJP leader Maneka Gandhi says, “Mujhe lagta hai bhagwan bhi bhaag gaye hai Char Dhamo se… Last year, 700 animals fell from Hemkund. ‘Kaun bhagwan tikega isme?’… The places where there were meadows, flowers, and it felt… pic.twitter.com/gJbnHMcjgi
— ANI (@ANI) September 13, 2025
दरअसल मेनका गांधी ने ऐसा इस लिए कहा, क्यों की चार धाम यात्रा मार्ग पर निर्माण कार्य के लिए बड़े पैमाने जंगलों की कटाई की जा रही है। जिसका विरोध पर्यावरणविदों, स्थानीय नागरिकों और तीर्थयात्रियों द्वारा किया जाता रहा है। बताया जा रहा है कि, यह परियोजना पर्वतीय क्षेत्रों के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है और भूस्खलन का खतरा और बढ़ा सकता है। इससे पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही स्थानीय समुदायों के पारंपरिक तरीकों को भी खतरा हो सकता है।
ये भी पढ़ें : मणिपुर के चुराचांदपुर में बोले PM मोदी, मेरा वादा मैं और भारत सरकार आपके साथ खड़ी
बता दें कि, चारधाम यात्रा मार्ग पर कंक्रीटीकरण से भारी मात्रा में पेड़ों कि कटाई की जा रही है। जिससे प्राकृतिक भूभाग को बदला जाता है, जिससे भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों का नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र कंक्रीटीकरण से बुरी तरह प्रभावित होता है, जिससे वहां रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए खतरा पैदा होता है। कंक्रीटीकरण को लेकर नागरिकों और पर्यावरण समूहों ने इसका जमकर विरोध किया है। उनका मानना है कि, यह परियोजना हानिकारक और अवैध है। जिसके खिलाफ उन्होंने अदालत में याचिकाएं दायर की हैं और कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।