Maharaja Bhupinder Singh
नवभारत डेस्क : राजा-महाराजाओं के पराक्रम के कई किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज होते हैं, लेकिन कुछ राजा ऐसे भी रहे हैं, जिनकी रंगीन मिजाजी के किस्से आज भी खुब चर्चा किए जाते हैं। इनमें से एक प्रमुख नाम है पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह का। हांलाकि, उन्हें स्पोर्ट से बेहद लगाव था। यही कारण था कि वे भारतीय टीम के पूर्व कप्तान के रूप में भी काम किया। इन सब के बीच उनकी जीवनशैली और अय्याशी की कहानियां आज भी लोगों को हैरात में डाल देती है। ऐसे में आज पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह का जन्म जयंती है। जन्म जयंती विशेष में महाराजा भूपिंदर सिंह के बारे में ऐसी कहानियों को जानेंगे, जो शायद ही आप जानते हो, तो इसके लिए पढ़ते जाइए इस आर्टिकल को अंत तक।
एक ऐसा भी समय था जब पूरी दुनिया में इंग्लैंड क्रिकेट की धाक थी। उस वक्त एक राजा ने इसकी कमान संभाली थी। हम बात कर रहे हैं पटियाला के पूर्व महाराज सर भूपिंदर सिंह की। जिन्होंने न सिर्फ पटियाला की सत्ता संभाली, बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी BCCI के को-फाउंडर भी रहे। हालांकि उनका व्यक्तिगत जीवन काफी विवादों से भरा रहा।
Remembering Lieut.-Gen’l. H.H. Sir Bhupinder Singh, the Maharaja Saheb Bahadur of Patiala on his birth anniversary.
He was captain of the Indian cricket team that visited England in 1911, and played in 27 first-class cricket matches between 1915 and 1937. @BCCI pic.twitter.com/s13sROQeRT — जाट समाज (@JAT_SAMAAJ) October 12, 2022
ऐसा कहा जाता है कि पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह सभी भारतीय राजघरानों में सबसे ज्यादा खर्चीले थे। उनकी शानो-शौकत की दुनियाभर में चर्चा होती थी। पटियाला पैग और पटियाला नैकलेस जैसी चर्चित चीजों की शुरुआत भूपिंदर सिंह ने ही की थी। फुलकियन राजवंश के जाट सिख भूपिंदर सिंह 1891 में महज नौ साल की उम्र में ही राजा बन गए थे। उनके राजशाही शौक की कई बार चर्चा होती है। लैरी कोलिन्स और डोमिनिक लैपियर ने अपनी बुक ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में उनकी लग्जरी लाइफ का जिक्र किया है। इसमें लिखा है कि वह एक दिन में करीब 9 किलो खाना खा सकते थे। उनकी एक समय की खुराक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह चाय के समय नाश्ते के तौर पर दो मुर्गियां खा जाते थे।
भूपिंदर सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और खेल संरक्षक थे, जिनका नाम दोनों भूमिकाओं में काफी सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने 1911 में इंग्लैंड के दौरे पर टीम इंडिया की कप्तानी की थी। अपने करियर के दौरान, सिंह ने 1915 से 1937 के बीच 27 फर्स्ट क्लास मैच खेले। 1926-27 के सीजन में वे इंग्लैंड के प्रतिष्ठित मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब यानी MCC के सदस्य के रूप में भी खेले। 1932 में, इंग्लैंड के पहले टेस्ट दौरे पर भारत का कप्तान बनने के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया गया था, लेकिन इंग्लैंड रवाना होने से दो सप्ताह पहले उनकी तबियत खराब हो गई, जिसके कारण वह इस अवसर से चुक गए। उनके स्थान पर पोरबंदर के महाराजा नटवरसिंहजी भावसिंहजी ने भारतीय टीम की कप्तानी संभाली थी। उन्होंने नवानगर के रणजीत सिंह के सम्मान में रणजी ट्रॉफी का दान किया था।
महाराजा भूपिंदर सिंह का उल्लेख उनके दीवान, जरमनी दास, की किताब ‘महाराजा’ में भी मिलता है। किताब में वर्णित है कि महाराजा ने पटियाला में ‘लीला-भवन’ नामक एक महल का निर्माण किया, जिसे रंगरलियों का महल माना जाता था। इस महल में केवल बिना कपड़ों के लोगों को आने की इजाजत थी। यह महल पटियाला शहर में भूपेंद्रनगर जाने वाली सड़क पर बाहरदरी बाग के पास स्थित है।
महाराजा ने महल के बाहर एक विशाल स्विमिंग पूल भी बनवाया, जो इतना बड़ा था कि इसमें लगभग 150 लोग एकसाथ नहा सकते थे। इस पूल में शानदार पार्टियां आयोजित होती थीं, जहां लोग खुलेआम अय्याशी करते थे। महाराजा अपनी प्रेमिकाओं के साथ इन पार्टियों में खुलकर इश्क फरमाते थे।
12 अक्टूबर 1891 को जन्मे महाराजा भूपिंदर सिंह ने 38 वर्षों तक राज किया और उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 10 से अधिक शादियां की थीं। इसके साथ ही, हैरान करने वाली बात यह है कि उनके पास लगभग 88 बच्चे थे। इसके अलावा 350 महिलाओं से संबंध बनीए थे।
महाराजा भूपिंदर सिंह का नाम शराब के शौकीनों में भी मशहूर है। उन्होंने पटियाला पैग की शुरुआत की, जो आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय है। इन सभी कारनामों के बावजूद, महाराजा भूपिंदर सिंह को उनके क्षेत्र में एक प्रभावशाली नेता के रूप में भी जाना जाता है। उनकी शासनकाल में पटियाला ने कई विकास कार्य किए और सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव किया। इस प्रकार, उनकी अय्याशी और प्रशासनिक कार्यों का यह मिश्रण उन्हें एक अनोखा इतिहासकार बना देता है, जो आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।
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