डॉ. होमी जहांगीर भाभा (सोर्स-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: डॉ. होमी जहांगीर भाभा भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक हैं। अगर आज भारत परमाणु संपन्न देशों में शुमार है, तो इसमें डॉ. होमी जहांगीर भाभा और उनके विचारों का अहम योगदान है। उन्हीं डॉ. भाभा ने दावा किया था कि अगर उन्हें मौका मिला तो वह 18 महीने में ही परमाणु बम बना देंगे। उनके इस दावे से दुनिया का दादा बनने की फिराक में घूम रहे अमेरिका भी हैरान रह गया था।
इस दावे के महज तीन महीने बाद 24 जनवरी 1966 को होमी जहांगीर भाभा की विमान दुर्घटना में मौत हो गई। भाभा की मौत से भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई। आज यानी 30 अक्टूबर 114वीं जयंती है। आइइ इस मौके पर हम जानते हैं कि होमी जहांगीर भाभा सिर्फ परमाणु बम बनाने में ही उस्ताद नहीं थे, बल्कि कुछ और बनाने में भी माहिर थे।
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डॉ. होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में हुआ था। उनका परिवार पारसी था। पिता होर्मूसजी भाभा उस समय के मशहूर वकील थे। उनकी मां मेहरबाई टाटा थीं, जो जाने-माने कारोबारी रतनजी दादाभाई टाटा की बेटी थीं। संपन्न परिवार में जन्मे डॉ. भाभा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई में की, जिसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए 1930 में ब्रिटेन चले गए। वहां उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया। इसके लिए डॉ. भाभा को उनके पिता और चाचा ने प्रोत्साहित किया।
भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन होमी जहांगीर भाभा को भारत का लियोनार्डो दा विंची कहते थे। अक्सर डबल ब्रेस्टेड सूट पहनने वाले भाभा वैज्ञानिक विषयों के साथ-साथ संगीत, नृत्य, किताबों और पेंटिंग में भी उतनी ही रुचि रखते थे। आपने वैज्ञानिकों को भाषण देते तो देखा होगा, लेकिन अपने साथियों के चित्र या रेखाचित्र बनाते शायद नहीं देखा होगा।
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भाभा पर किताब लिख चुकी इंदिरा चौधरी कहती हैं, “मृणालिनी साराभाई ने मुझे बताया था कि भाभा ने उनके दो रेखाचित्र बनाए थे। भाभा ने हुसैन का भी एक रेखाचित्र बनाया था। मशहूर वैज्ञानिक प्रोफेसर यशपाल ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में अपने करियर के शुरुआती दिनों में होमी भाभा के साथ काम किया था। उनका कहना है कि 57 साल की छोटी सी उम्र में भाभा ने जो हासिल किया, उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है।