कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स-सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भाजपा के नारे ‘बंटोगे तो कटोगे’ को लेकर एनडीए में ही दरार पड़ती दिख रही है। उसके सहयोगी दल इसका विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसे नारों की कोई जरूरत नहीं है। महाराष्ट्र में सबसे पहले अजीत पवार की एनसीपी ने विरोध किया और इसके बाद जेडीयू और जयंत चौधरी की पार्टी भी कतार में है।
‘अगर हम बांटेंगे तो कट जाएंगे’ पर अजित पवार ने 7 नवंबर को मुंबई में कहा, ”यह छत्रपति शिवाजी, राजर्षि शाहू महाराज और महात्मा फुले का महाराष्ट्र है। यहां के लोगों को ऐसी टिप्पणियां पसंद नहीं हैं। यहां के लोगों ने हमेशा सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की कोशिश की है। आप महाराष्ट्र की तुलना दूसरे राज्यों से नहीं कर सकते।”
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इस पर महायुति के दूसरे सहयोगी एकनाथ शिंदे की सेना के नेता संजय निरुपम ने कहा कि अजित दादा को आज समझ नहीं आ रहा है लेकिन भविष्य में समझ आ जाएगा कि ‘अगर हम बांटेंगे तो कट जाएंगे’ वाली लाइन जरूर काम करेगी। उन्हें समझना होगा कि सीएम योगी कुछ गलत नहीं कह रहे हैं।
जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने 8 नवंबर को पटना में कहा, “देश को ‘अगर हम बंटे तो कट जाएंगे’ जैसे नारों की जरूरत नहीं है। यह नारा उन लोगों को चाहिए जो समुदाय के नाम पर वोट चाहते हैं। जब देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हिंदू हैं, तो देश में हिंदू असुरक्षित कैसे हो गए?” दूसरी ओर चिराग पासवान ने इस मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन किया है और उनकी पार्टी ने कहा कि यह नारा ठीक है।
हाल ही में उपचुनाव के लिए प्रचार करते हुए जयंत चौधरी ने पत्रकारों से बात की। इस पर एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि सीएम योगी आदित्यनाथ ‘अगर हम बंटे तो कट जाएंगे’ की बात कर रहे हैं, जिस पर आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा, “यह उनकी बात है।” यह कहकर वे चले गए। इससे पता चलता है कि आरएलडी भी इस नारे के साथ नहीं है।
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