अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी (फोटो- सोशल मीडिया)
PM Modi 75th Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपना मार्ग दर्शक मानते थे। जबकि दोनों नेताओं का काम करने का तरीके बिलकुल अलग है, अटल किसी भी मुद्दे को शांत और सौम्य स्वभाव से करने में यकीन रखते थे। जबकि नरेंद्र मोदी की राजनीति आक्रामक रही है।
पीएम मोदी अपनी आक्रामक राजनीति के बल पर ही पहले गुजरात और अब दिल्ली में अपने विरोधियों को ठिकाने लगाते आ रहे हैं, लेकिन कई बार उन्हें अपनी इसी राजनीति के चलते धर्म संकट का सामना करना पड़ा है। इनमें से एक सबसे चर्चित किस्सा है साल 2002 का, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मंच से ‘राजधर्म’ निभाने की बात कही थी और नरेंद्र मोदी ने बीच में ही जवाब दे दिया था।
27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने की घटना हुई, जिसमें 59 कारसेवक मारे गए। इस हादसे के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़के। देश और विदेश से आलोचनाएं हुईं और केंद्र सरकार पर भी दबाव बढ़ा। हालात संभालने के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुद गुजरात पहुंचे।
#AtalBihariVajpayee
Remembering Atal ji for his kind gesture for all the communities in India.Once he advised “Narendra Modi” to follow “RAJDHARMA” during the 2002 Gujarat riots.
What are your opinions? pic.twitter.com/UatHLvJiDR
— Youdha (@youdha_veer) August 16, 2023
अहमदाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब दंगों को लेकर सवाल पूछे गए, तो अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी गंभीर और संयमित शैली में कहा, “राजधर्म का पालन करना चाहिए। शासक के लिए प्रजा में कोई भेदभाव नहीं होता, सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए।” अटल का यह वाक्य जैसे पूरे देश के लिए एक संदेश था। लेकिन मंच पर मौजूद नरेंद्र मोदी ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। और अटल को बीच में ही रोकते हुए कहा, “हम भी वही कर रहे हैं, साहब।”
अटल और मोदी के बीच हुई इस बातचीत और प्रधानमंत्री के सामने उनके विश्वास ने गुजरात में दंगों के बाद निराश हो चुके उनके समर्थकों ने आत्मविश्वास जागने का काम किया। उन्होंने इसे आत्मविश्वास का प्रतीक माना, जबकि आलोचकों ने इसे अटल की नसीहत को ठुकराने जैसा बताया।
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ऐसा इसलिए क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के रिश्तों में हमेशा सम्मान और दूरी का संतुलन रहा। अटल अपने उदार और समन्वयकारी स्वभाव के लिए जाने जाते थे, जबकि मोदी का अंदाज निर्णायक और सीधा रहा। यही फर्क इस प्रसंग में भी झलक गया।
आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 75वां जन्मदिन माना रहे हैंं, तो इस मौके पर लोगों ने सोशल मीडिया पर दो अलग लेकिन देशहित में काम करने वाले प्रधानमंत्रियों से जुड़े किस्से को एक बार फिर याद कर रहे हैं।