अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (सोर्स- सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: मुल्क की सियासत में ‘चाणक्य’ और ‘अजातशत्रु’ की संज्ञा तो कई सियासतदानों को दी जाती रही है। लेकिन आज हम उस महान शख्सियत के बारे में चर्चा करने वाले हैं जिसे भारतीय राजनीति का ‘भीष्म पितामह’ कहा गया। वो शख्स जिसने भारतीय जनता पार्टी को 2 सीटों से उठाकर सत्ता तक पहुंचा दिया। आज यानी बुधवार 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है। देश इस अवसर पर उन्हें नमन कर रहा है।
अटल बिहारी वाजपयी की जयंती के इस मौके पर हम उनके जीवन से जुड़े 10 ऐसे रोचक तथ्य आपके लिए लेकर आए हैं जिनके बारे में इससे पहले आपको शायद ही पता होगा। उम्मीद है अगर आप एक 10 तक का सफर तय करेंगे तो आपको रोचक जानकारियां हासिल होंगी। तो चलिए शुरू करते हैं…
1. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर में शिंदे की छावनी में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक और डीएवी कॉलेज, कानपुर से राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया।
2. क्या आप जानते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पिता के साथ डीएवी कॉलेज, कानपुर से कानून की पढ़ाई की थी। दोनों ने एक ही कक्षा में कानून की डिग्री हासिल की और इस दौरान दोनों एक ही छात्रावास में भी रहे।
3. अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार ‘बापजी’ कहकर बुलाते थे। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में भाषण के दौरान उन्हें भारतीय राजनीति का ‘भीष्म पितामह’ कहा था। उनकी शादी नहीं हुई थी लेकिन उन्होंने नमिता नाम की एक लड़की को गोद लिया था। क्या आप जानते हैं कि उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था लेकिन उन्हें मांस-मछली खाने का बहुत शौक था। उन्हें झींगा खाने का शौक था। पुरानी दिल्ली का करीम होटल उनका पसंदीदा मांसाहारी होटल है।
4. अटल बिहारी वाजपेयी जी अपने शुरुआती जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आ गए थे। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में भी भाग लिया था और 24 दिनों के लिए जेल भी गए थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी। वे 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। आपको बता दें कि वे एकमात्र ऐसे सांसद हैं जो चार अलग-अलग राज्यों दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से चुने गए थे। 6 अप्रैल 1980 को उन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
5. उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष ख्याति प्राप्त की और कई पुस्तकें लिखीं। उन्हें कविता से भी विशेष लगाव था। वे अक्सर कविताओं के माध्यम से अपने विचार सामने रखते थे। वे एक कुशल वक्ता हैं और उनके बोलने का तरीका भी काफी अलग है। वे दो मासिक पत्रिकाओं “राष्ट्रधर्म” और “पांचजन्य” के संपादक थे। वे दो दैनिक समाचार पत्रों “स्वदेश” और “वीर अर्जुन” के भी संपादक थे। उनकी कविताओं की सर्वश्रेष्ठ कृति “मेरी कविताएं” है।
6. अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। लेकिन इस बार संख्या बल के आगे उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। अटलजी ने 19 मार्च 1998 को दोबारा देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। उसके बाद फिर अटलजी ने 13 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 1997 में जनता पार्टी की सरकार से वे विदेश मंत्री बने और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र में अपना भाषण भी हिंदी में दिया था।
7. अटल बिहारी वाजपेयी एक दिग्गज नेता थे और उन्होंने विपक्षी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल कर लिया था। यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू ने भी भविष्यवाणी की थी कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। जब वे विदेश मंत्री बने तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषा में भाषण दिया और ऐसा करने वाले वे देश के पहले नेता थे।
8. जब वर्ष 1971 में बांग्लादेश का विभाजन हुआ तो इंदिरा गांधी के प्रतिनिधित्व में भारत द्वारा निभाई गई भूमिका से प्रभावित होकर अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें “साक्षात् दुर्गा” की उपाधि दी थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ही थे, जिन्होंने दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास कराया। अनेक अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बावजूद उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण कराया और भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया। पूर्व राष्ट्रपति नरसिम्हा राव अटल बिहारी वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए उन्होंने 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक सदा-ए-सरहद नाम से बस सेवा शुरू की, जिसमें उन्होंने एक बार यात्रा भी की।
9. अटल बिहारी वाजपेयी 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार और गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से दिसंबर 2014 में सम्मानित किया गया। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके जीवन से काफी प्रभावित रहे हैं और अटल जी खुद श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रशंसक रहे हैं।
10. अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सड़क मार्गों का विस्तार करने हेतु स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना शुरू की। भारत में उनके कार्यकाल में उतनी सड़कें बनीं जितनी शेरशाह सूरी के शासनकाल में बनी थीं। इतना ही नहीं उन्होंने 100 साल पुराने कावेरी जल विवाद को भी सुलझाया था।
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साल 2000 में उनकी तबीयत खराब होने लगी, 2001 में उनके घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई, 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया जिसके कारण वे ठीक से संवाद नहीं कर पा रहे थे और लंबे समय तक बीमार रहने के बाद 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया। इसमें कोई शक नहीं है कि अटल बिहारी वाजपेयी भारत के एक महान और दिग्गज नेता थे जिन्होंने देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उनके काम को पूरी दुनिया में सराहा जाता है। इतना ही नहीं, एक लोकप्रिय राजनेता, एक ओजस्वी कवि, एक सम्मानित समाजसेवी और एक नरम हिंदुत्ववादी के रूप में उनके व्यक्तित्व की कई छवियां हैं।