पृथ्वी से टकराता ऐस्टरॉइड, सांकेतिक फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत डेस्क: साल 1908 में साइबेरिया के तुंगुस्का क्षेत्र में एक विशाल ऐस्टरॉइड गिरा था, जिसने करीब 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भयंकर तबाही मचाई थी। इस टक्कर की वजह से लाखों पेड़-पौधे जड़ से उखड़ गए थे। सौभाग्य से, यह इलाका बिल्कुल ही सुनसान था, वरना विनाश का स्तर अकल्पनीय होता।
अब वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि उसी आकार का एक ऐस्टरॉइयड तेजी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। खगोलविद इस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं और इसे लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। अगर यह ऐस्टरॉइयड पृथ्वी से टकराता है, तो भारी तबाही मचा सकता है।
आपको बता दें कि इस ऐस्टरॉइयड को 2024 YR4 नाम दिया गया है। उनकी गणनाओं के अनुसार, यह ऐस्टरॉइड अत्यधिक गति से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है, और इसकी कक्षा को देखते हुए अनुमान लगाया गया है कि साल 2032 में इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना है। यदि ऐसा होता है, तो यह पृथ्वी के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है और पृथ्वी को भारी क्षति पहुंचा सकता है।
संयुक्त अरब अमीरात के एक खगोलविद ने भी इस क्षुद्रग्रह को पृथ्वी की ओर बढ़ते हुए देखा है। उन्होंने दुनिया भर की प्रमुख वेधशालाओं से अनुरोध किया है कि वे इस ऐस्टरॉइड पर लगातार नजर बनाए रखें।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की प्लेनेटरी डिफेंस ऑफिस ने हाल ही में 2024 YR4 नामक ऐस्टरॉइड की खोज की है। एजेंसी के अनुसार, यह ऐस्टरॉइड 22 दिसंबर 2032 को पृथ्वी के पास से गुजरेगा। अनुमान के मुताबिक, इसके सुरक्षित रूप से गुजरने की संभावना लगभग 99% है, लेकिन 1% टकराने की आशंका को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। ESA ने इस संबंध में चेतावनी जारी करते हुए स्थिति पर नजर बनाए रखने की जरूरत बताई है।
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हाल ही में अंतरिक्ष एजेंसी ने एक मीडिया अलर्ट में बताया कि ऐस्टरॉइड की जांच करने वाली तकनीक में लगातार सुधार हो रहा है। इसी वजह से अब हम पहले की तुलना में अधिक संख्या में उन अंतरिक्षीय वस्तुओं का पता लगा पा रहे हैं, जो पृथ्वी के पास से गुजरती हैं लेकिन पहले हमारी निगरानी में नहीं आ पाती थीं।
अंतरिक्ष एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अभी यह तय करना मुश्किल है कि ऐस्टरॉइड का प्रभाव पृथ्वी पर किस स्थान पर सबसे अधिक पड़ेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसकी संभावित टक्कर की दिशा पश्चिमी-मध्य अमेरिका से लेकर उत्तरी-दक्षिण अमेरिका तक, या फिर मध्य अटलांटिक महासागर और अफ्रीका के कुछ हिस्सों से होते हुए भारत तक फैली एक संकीर्ण पट्टी में हो सकती है।
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने 27 दिसंबर 2024 को चिली के रियो हर्टाडो में स्थित एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (ATLAS) टेलीस्कोप के जरिए इस खतरनाक ऐस्टराइड का पता लगाया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने इस ऐस्टराइड की गति को टाइमलैप्स के रूप में कैप्चर किया है। इसके आकार और संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए इसे सबसे जोखिम भरे ऐस्टराइड्स की सूची में शीर्ष स्थान पर रखा गया है।
यह 2023 VD3 ऐस्टराइड से भी अधिक खतरनाक माना जा रहा है, जो 2034 में पृथ्वी के करीब से गुजर सकता है। अंतरिक्ष एजेंसियां इस ऐस्टराइड की गतिविधियों और इसके मार्ग पर पैनी नजर बनाए हुए हैं ताकि किसी भी संभावित खतरे से समय रहते निपटा जा सके।