न्यूक्लियर-पावर की प्लांट की फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसके तहत भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में विकास की राह में सबसे बड़ी नीतिगत बाधा को दूर किया जाएगा। इसके लिए न्यूक्लियर एनर्जी एक्ट, 1963 और नागरिक परमाणु क्षति दायित्व अधिनियम, 2010 में संशोधन किया जाएगा।
इन सुधारों से परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को उद्योग-अनुकूल बनाया जाएगा, जिससे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक देश में कम से कम 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन की क्षमता विकसित की जाए।
वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से विकसित छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर चालू किए जाएंगे। इन स्माल मॉड्यूलर रिएक्टर के अनुसंधान और विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। एसएमआर छोटे, किफायती और स्केलेबल परमाणु रिएक्टर हैं। इससे जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता कम होगी। 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप से भारत को छूट मिली थी। लगभग दो दशक बाद, भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक कंपनियां आ सकती हैं।
इस प्रावधान के तहत परमाणु क्षति होने पर ऑपरेटर के अलावा परमाणु आपूर्तिकर्ताओं पर भी दायित्व होता है। 2010 में एक्सपर्ट्स की सलाह के विरुद्ध यह प्रावधान जोड़ा गया था। इसे भारत के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के विपरीत भी माना जाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस लक्ष्य के लिए प्राइवट सेक्टर के साथ सक्रिय भागीदारी को लेकर परमाणु ऊर्जा अधिनियम और नागरिक परमाणु क्षति दायित्व अधिनियम में संशोधन किए जाएंगे।
देश की अन्य खबरों से अप-टू-डेट होने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन से एनपीसीआईएल देश में न्यूक्लियर रिएक्टरों का एकमात्र ऑपरेटर नहीं रहेगा। निजी क्षेत्र के ऑपरेटरों के लिए जगह बनेगी। परमाणु ऊर्जा एक महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र है, इसलिए सरकार की मजबूत उपस्थिति बनी रहेगी। लेकिन कुछ क्षेत्रों को निजी भागीदारी के लिए खोला जा सकता है।
वित्त मंत्री का यह प्रस्ताव पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले आया है। पिछले महीने अमेरिका ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर , इंदिरा गांधी एटॉमिक रिसर्च सेंटर और इंडियान रेयर अर्थ पर से प्रतिबंध हटा दिए थे। पीएम मोदी ने निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि यह आने वाले समय में देश के विकास में असैनिक परमाणु ऊर्जा का बड़ा योगदान सुनिश्चित करेगा।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा एक ऐसा फैसला होगा जो पूरी दुनिया को चौंका देगा. वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल काकोदकर ने कहा कि यह निर्णय एक मजबूत संकेतक है कि सरकार ने ‘विकसित भारत’ की आकांक्षा को नेट जीरो स्थिति के साथ साकार करने के लिए परमाणु ऊर्जा के महत्व को पहचाना है। वह विकल्प परमाणु ऊर्जा की बड़ी भूमिका के बिना संभव नहीं है. हालांकि, यह बहुत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि सरकार को एक प्रभावी कार्यान्वयन तंत्र की आवश्यकता है।
भारत अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करना चाहता है और 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य हासिल करना चाहता है। इस योजना में परमाणु ऊर्जा को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण कदम है। स्टील और सीमेंट जैसे उद्योगों को डीकार्बोनाइज करना मुश्किल है। परमाणु ऊर्जा से इन उद्योगों को ऊर्जा मिल सकती है। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) एक नई पीढ़ी के कॉम्पैक्ट न्यूक्लियर रिएक्टर हैं। ये किफायती और स्केलेबल ऊर्जा सपोर्ट प्रदान करते हैं। इस कदम से देश की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)