कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी (फोटो- सोशल मीडिया)
Congress Leader Abhishek Singhvi: वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी पर लोकतंत्र को एकतरफा शासन की स्थिति में बदलने का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस भारत को ‘एक आवाज, एक पार्टी और एक विचारधारा’ वाला देश नहीं बनने देगी। दिल्ली में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में ‘संवैधानिक चुनौतियां – दृष्टिकोण और रास्ते’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज हम ऐसे दौर में हैं जहां संविधान की न केवल अनदेखी की जा रही है, बल्कि सत्ता की सेवा लगे लोग उसे तोड़-मरोड़ भी रहे है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ अदालतों में ही नहीं, बल्कि सड़कों पर भी जनता के बीच लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘अब हमें सड़कों पर हुंकार भरना होगी सिर्फ बैठक की बोलने से कुछ नहीं होगा। हमें सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि निरंतर सत्याग्रह चाहिए।’
जब लोकतंत्र को सिर्फ वोट तक सीमित कर दिया जाए और संविधान को सिर्फ एक प्रतीक बना दिया जाए, तो समझ लीजिये कि खतरा कागज़ों से निकलकर, नीयतों में घुस गया है।
What we are witnessing is not a mere aberration, but a calculated, organized design. Not a temporary deviation, but an… pic.twitter.com/f45lq6w44m
— Congress (@INCIndia) August 2, 2025
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘लोकतंत्र सिर्फ सड़कों पर टैंकों के आने से ही नहीं मरता, बल्कि संस्थाओं के झुकने से भी मरता है। जब संवैधानिक पदों पर बैठे लोग पक्षपाती हो जाते हैं। जब मीडिया आईने की बजाय माइक्रोफोन बन जाता है। जब अदालतें फैसला देने की बजाय उसे टालने से डरती हैं। जब विरोध को देशद्रोह कहा जाता है, और सवाल पूछना देशद्रोह माना जाता है – तो समझ लीजिए कि गणतंत्र वेंटिलेटर पर है।’
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत को लोकतंत्र सिर्फ संविधान की किताब में ही नहीं, बल्कि व्यवहार में भी कांग्रेस ने दिया है और अब वह इसे बचाने के लिए फिर से वही फिर से आगें आएगी। उन्होंने मौजूदा संकट को सिर्फ कुशासन या आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि ‘चुनावी बहुमत की आड़ में संवैधानिक मूल्यों की सुनियोजित हत्या’ करना बताया। उन्होंने कहा, ‘संविधान में नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था है, लेकिन आज इसकी जगह चेकबुक और बुलडोजर ने ले ली है। अधिकारों और उपायों की जगह छापे और बयानबाजी ने ले ली है। आजादी की जगह वफादारी की परीक्षा हो रही है।’ यह शासन नहीं, बल्कि गणतंत्र को भ्रमित करने की साजिश है।’
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कांग्रेस नेता ने साफ तौर पर कहा कि अब राजनीतिक साहस और संवैधानिक समझ की जरूरत है। उन्होंने कहा, सिर्फ कागज के विधेयक पारित करने के बजाय, संसद को वास्तविक बहस का मंच बनाना होगा। साथ ही, केवल व्याख्या ही नहीं, बल्कि अदालतों से हस्तक्षेप भी लेना होगा। मीडिया को भय और दबाव से मुक्त करना होगा और सबसे जरूरी, संविधान को आम लोगों से फिर से जोड़ना होगा। उन्होंने अंत में कहा, ‘हम भारत को एक रंग की तस्वीर नहीं बनने देंगे। भारत लाखों रंगों का चित्र है यदि इसमें से एक भी रंग मिट दिया गया, तो पूरी तस्वीर बिखर जाएगी।’